कोरोना के खिलाफ जंग में अगर कोई सबसे आगे रहकर इसे लड़ रहा है तो वो हैं हमारे डॉक्टर और पुलिसकर्मी। अब तक कई ऐसे मामले सामने आ गए हैं जहाँ हमारे डॉक्टर और पुलिसकर्मी भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं और कई वारियर्स तो इससे अपनी जान तक गँवा चुके हैं। देश में इस वक्त एक बड़ी समस्या यह भी है कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में डॉक्टर और पुलिसकर्मी नहीं हैं। इसी कड़ी में कोरोना की जंग में पुलिस बल की कमी से जूझ रही उत्तराखंड पुलिस के लिए अब एक अच्छी खबर सामने आ रही है।
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लॉकडाउन का अनुसरण कराने को जगह-जगह सड्कों पर, क्वारंटाइन सेंटर और लोगों तक मदद पहुंचाने में सुरक्षा कर्मियों को ही व्यवस्था संभालने के लिए लगाया गया है। सुरक्षा कर्मी दिन रात पूरी निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। ऐसे में मैन पॉवर बढ़ाने के लिए और सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने अपने निजी सुरक्षा कर्मियों को कोरोना वारियर्स की ड्यूटी में लगाने के लिए डीजीपी को पत्र भेजा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। अब उन्हीं का अनुसरण करते हुए कई दर्जाधारी माननीयों ने भी अपने-अपने निजी सुरक्षा कर्मियों को रिलीज कर दिया है। बता दें कि अबतक करीब 26 गनर ने अपनी आमद दर्ज करा चुके हैं।
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लॉकडाउन के चलते देशभर वीआईपी अपने घर में कैद हैं। इसी लिहाज से पुलिस अफसरों ने गनर वापसी की मौखिक अपील भी की थी। सबसे पहले प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अपनी एस्कॉर्ट वापस देकर इसकी पहल की। धीरे-धीरे दर्जा धारी और दूसरे वीआईपी भी इस राह पर चल पड़े हैं। शनिवार तक 26 गनर ने पुलिस लाइन में अपनी आमद करा दी थी। डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि पुलिस लाइन में वापस आए इन तमाम गणों को थानों में तैनात किया जा रहा है जहां पर पुलिस बल की कमी हो रही है। अब बल बढ़ने के साथ ही पुलिस की कार्य क्षमता भी बढ़ जायेगी।