देवभूमि उत्तराखंड में एक दुखभरी खबर सामने आ रही है, जब उत्तरकाशी में नदी पर बने अस्थायी पुल को पार करते हुए उसका तार टूट गया और नदी में गिरने के बाद युवती की मौत हो गयी है और उसके शव को वहां से 10 किलोमीटर दूर हनोल में जाकर मिला। हादसे के बाद अस्थायी तौर पर तार के सहारे नदी पार करने की व्यवस्था पर सवाल उठने खड़े हो गये हैं।
मोरी के थानाध्यक्ष दीप कुमार ने मीडिया को बताया की रविवार सुबह मोरा गांव की 19 साल की युवती हसीना पुत्री याकूब तार के सहारे नदी पार करते समय नदी मे जा गिरी। वह मोरी बाजार स्थित अपनी दुकान आ रही थी लेकिन टौंस नदी के आरपार पिलर से बंधे तार की मदद से जब वह नदी पार कर रही थी उस समय तार टूटने से वह नदी मे जा गिरी। जिसके बाद ग्रामीण वासियो के काफी खोजबीन के दौरान घटनास्थल से 10 किमी दूर हनोल क पास युवती का शव मिला।
इस घटना के बाद सरकार के आपदाग्रस्त गाँवो मे सुरक्षित आवाजाही के लिए किये गए इंतजामों की पोल खुल गयी है। आपदा के समय सीमान्त जिलों मे कई स्थानों पुलिया बह जाने के कारण वहाँ के लोग तारों, रस्सी के पुलों और ट्रॉलियों के सहारे आवाजाही करते है। लेकिन सरकार के द्वारा किये गए इन इंतजामों के कारण आम लोगों की जिंदगी भी इन्ही ट्रॉलियों और तारों मे झूल रही है। कई बार इन ट्रॉलियों के कारण आवाजाही करने के दौरान अंगुलियां कटने जैसे हादसे सामने आये है। कुछ समय पहले भी मोरी के सांद्रा सल्ला गांव में भी ट्रॉली से गिरने के कारण एक बच्ची की भी मौत हुई थी।
पहाड़ी जिलों मे बरसात के समय गंगा, यमुना एवं टौंस जैसी बड़ी नदियों के साथ बरसाती गाड-गदेरों के कारण पुलिया बह जाती है। जिसके बाद सरकार द्वारा आवाजही के पक्के इंतजाम न होने के कारण ग्रामीण खुद लकड़ी के अस्थायी पुलों के सहारे आवाजाही करते रहते है जो हर समय दुर्घटना को न्यौता देते रहते है। लेकिन सरकार का अभी तक इन सीमान्त गांवों की तरफ ध्यान नहीं जाता है।