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उत्तराखंड: कोरोना के आशंका से गर्भवती को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ाते रहे डाक्टर.. मौत

कोरोना वायरस के संक्रमण काल में ऐसा लगता है जैसे सब रुक गया है। वे सभी जरूरी सेवाएं तक रुक गई हैं जिन्हें सरकार की ओर से चलते रहने की परमिशन थी। हालत कुछ ऐसी है कि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग, बच्चे और बुजुर्ग हॉस्पिटलों में अपना इलाज तक नहीं करवा पा रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में पहले ही स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ चुकी हैं, उसपर अब कोरोना की मार भी पड़ने लगी है। कोविड-19 के नाम पर रोगियों को इधर से उधर भटकना पड़ रहा है। कोरोना होने की आशंका के चलते एक गर्भवती महिला को निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक दौड़ाया और अंत में इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई। गर्भवती को पहले टाइफाइड हुआ था और सांस लेने की तकलीफ होने पर डॉक्टरों ने कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही इलाज की बात कही। बाद में महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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पांच माह की गर्भवती आशा देवी (24) पत्नी मुन्ना सिंह निवासी कोसी कटारमल का स्वास्थ्य बृहस्पतिवार सुबह से खराब था। महिला एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए पहुंची तो कोरोना पॉजिटिव होने की आशंका जताते हुए उसे कोरोना जांच के लिए भेज दिया गया। परिजन उसे जिला अस्पताल अल्मोड़ा लेकर पहुंचे तो उसे कोविड-19 की जांच के लिए बेस अस्पताल भेजा गया। बेस अस्पताल में महिला की कोरोना जांच हुई और महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन उसकी हालत बिगड़ने लगी। बताया जा रहा है कि महिला को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। रिपोर्ट निगेटिव आने पर परिजन जब उसे देर शाम बेस से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तब तक महिला दम तोड़ चुकी थी। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया। पूरा दिन परिजन एक निजी समेत जिले के तीन अस्पतालों में चक्कर काटते रहे।

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