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कोरोना इफेक्ट: उत्तराखंड में संक्रमित जमाती का संदेश सभी लोगों को देता है ये बड़ी सीख

भारत में हर दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं आलम ये है कि अब हर दिन 1000 से ज्यादा संक्रमित पूरे भारत में मिलने शुरू हो गए हैं। अब तक 12,000 के आसपास संक्रमित लोगों का आंकड़ा पहुँच चुका है और लगभग 392 लोगों की इससे मौत हो चुकी है। अगर गौर से नजर डालें तो भारत में कोरोना संक्रमण तेजी से बड़ने की मुख्य वजह दिल्ली निजामुद्दीन में स्थित तबलीगी जमात रही है। जमात से ही कोरोना संक्रमण लगभग भारत के सभी राज्यों में फैलता चला गया और अधिकाँश राज्य तो ऐसे भी हैं जहाँ 50 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक संक्रमित लोग जमात से ही जुड़े हुए हैं।

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इस बीच उत्तराखंड से जमात में शामिल हुए एक बुजुर्ग का सन्देश सभी को एक सीख देता है जो खुद चंद घंटों के लिए इस तबलीगी जमात का हिस्सा बना था पर जब वापस लौटा तो वो अपने साथ इस वायरस को भी उत्तराखंड लेकर आ चुका था। हरिद्वार के मेला अस्पताल में भर्ती कोरोना पीड़ित 62 वर्षीय बुजुर्ग का कहना है कि कोरोना के चलते मुझे जो कोई तकलीफ हो रही है वह तो ठीक है, लेकिन दिल में इस बात का बड़ा गम है कि मेरी वजह से मेरे परिवार के साथ ही पूरे गांव के हजारों ग्रामीण अब मुसीबत का सामना करने को मजबूर हो गए हैं।

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यह जमाती बुजुर्ग गांव के ही दो लोगों के साथ 20 मार्च को शाम तीन बजे ट्रेन में बैठे और रात करीब निजामुद्दीन मरकज में पहुंचे। उस वक्त वहां कोई धार्मिक आयोजन नहीं होने के चलते तीनों ने आराम करने की सोची। मरकज में जगह कम थी, इसलिए वे रात में रुकने के लिए पास की ही एक मस्जिद में चले गए। अगले दिन फिर मरकज में पहुंचे और वहां करीब दो घंटे का वक्त गुजारा। बस ये वो दो घंटे ही थे जो उनको कोरोना संक्रमित करने के लिए काफी थे। इस वक्त बुजुर्ग के परिवार के आठ लोग क्वारंटीन हैं जबकि पूरे गाँव को इस बीच तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।


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