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मुख्यमंत्री रावत चीन सीमा पर स्थित उस गाँव में फहराएंगे तिरंगा जहाँ आजादी की खबर 5 दिन बाद पहुंची

हाल के दिनों में जानकारी मिली थी कि गत जुलाई माह में चीन के सैनिकों ने उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़होती में 6 बार घुसपैठ करने का प्रयास किया है। तबसे इस पूरे इलाके में भारतीय सेना भी अलर्ट है सामरिक लिहाज से भी यह बेहद ही संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, चमोली जिले के इसी सीमांत बाड़ाहोती क्षेत्र के नजदीक है सुदूरवर्ती गांव गमसाली,  जो जाना जाता है हर साल अपने अनूठे अंदाज में आजादी के जश्न को मनाने के लिए। कहा जाता है कि भारत जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था तब इस गाँव के निवासी इस बात से अंजान थे और उसके लगभग 5 दिन बाद यानी 20 अगस्त 1947 को गमसाली गाँव तक ये खबर पहुँची थी कि भारत आजाद हो गया है।

इसके बाद से हर साल यहाँ आजादी का जश्न बड़े धूम धाम से मनाया जाता है आसपास के गांवों के सभी लोग यहाँ एकत्र होते हैं और इस अवसर पर यहाँ एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। पर इस बार की आजादी का जश्न यहाँ कुछ अलग होने वाला है क्यूंकि इस बार यहाँ तिरंगा फहराने उनके साथ होने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत। ये पहला अवसर होगा जब उत्तराखंड का कोई मुख्यमंत्री इस गाँव में झंडा फहराने जाएगा, इसके लिए गमसाली गाँव में भी एक नयी उमंग जाग गयी है और वो इस बार के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम को कुछ विशेष बनाने के प्रयासों में जुट गये हैं।

दरसल बदरीनाथ से विधायक महेंद्र भट्ट ने गमसाली गाँव के स्वतंत्रता दिवस मेले में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था जिस पर मुख्यमंत्री ने जरा भी देर नहीं लगाई और तुरंत इस शानदार काम के लिए हाँ कर दी। साथ ही हो सकता है कि गमसाली गाँव में लगने वाले इस मेले को प्रदेश सरकार विशेष मेले का दर्जा भी दे। इस शानदार काम के बाद मुख्यमंत्री रावत एक तीर से दो निशाने साधने वाले हैं एक तो गाँव के लोगों के बीच रहकर वो पूरे प्रदेश में एक नया संदेश देंगे साथ ही चीन को भी एक शानदार संदेश जाएगा कि भारत सजग है अपनी सीमाओं के लिये।


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