अगर कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो इंसान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पहाड़ की इस होनहार बेटी ने। बचपन से आईपीएस बनने का सपना संजोने वाली ऊना जिला के ठठ्ठल गांव की बेटी शालिनी अग्निहोत्री आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। इनके काम करने का ढंग कुछ ऐसा है की नाम से ही नशे के कारोबारी घबराते हैं। बहुत ही साधारण परिवार में पली बढ़ी शालिनी ने कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है।
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शालिनी अपने गांव की पहली आईपीएस पुलिस अधिकारी हैं। उनके पिता रमेश कुमार अग्निहोत्री एचआरटीसी बस में बतौर कंडक्टर सेवानिवृत्त हुए हैं। और उनकी मां हाउस वाइफ है। घर का खर्चा चलाने के लिए शालिनी की मां घर पर सिलाई का काम करती थी। वहीं इनकी बड़ी बहन रजनी डॉक्टर व भाई आशीष इंडियन आर्मी में कैप्टन के पद पर तैनात हैं। आशीष ने पहली बार में एनडीए टेस्ट को क्लीयर कर लिया था। जब UPSC परीक्षा का फ़ाइनल परिणाम आया तो उसमे शालिनी को ऑल इंडिया लेवल पर 285वीं रैंक मिली थी।
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ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें उनकी पहली पोस्टिंग हिमाचल में हुई, जब उन्होंने कुल्लू में पुलिस अधीक्षक का पदभार संभाला तो अपराधियों में दहशत हो गई। उन्होंने नशे के व्यापारियों के खिलाफी काफी अभियान चलाए हैं। इस दौरान उन्होंने दर्जनों अधिकारियों को जेल भी पहुंचाया हैं। 2012 में आईपीएस की परीक्षा पास करने के बाद वर्ष 2012-2013 में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद में प्रशिक्षण के दौरान वह सर्वश्रेष्ठ आईपीएस ट्रेनी की ट्राफी हासिल कर चुकी है। उन्होने ना सिर्फ अपने घर परिवार का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है।