Home अन्य ख़बरें भारत के इस राज्य में माता पिता बच्चों को करते है नीलाम,...

भारत के इस राज्य में माता पिता बच्चों को करते है नीलाम, चोरी के लिये किया जाता है इनका इस्तेमाल

देश भर में शादियों का सीजन शुरू हो गया है। इसी के साथ शादियो में चोरी घटनायें भी सुनने को मिल रही है। इसके मध्येनजर दिल्ली पुलिस नेबएडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कुछ गिरोह छोटे बच्चों के माध्यम से बड़ी शादियों में नकदी और गहने चुराने का काम कर रहे हैं। पुलिस के मुताबिक, इसमें इनके माता पिता भी शामिल हैं जो अपने बच्चों को ऐसे कामों के लिए ‘नीलाम’ कर देते हैं।

शादी के सीजन में ये गिरोह दिल्ली-एनसीआर, लुधियाना और चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों में शादियों में नकदी और गहने चुराने के लिए 9 से 12 साल के बच्चों का इस्तेमाल करते हैं।

हैरानी की बात यह है कि बच्चों को खुद उनके माता पिता ही ऐसे कामों के आगे करते हैं और गिरोह का हिस्सा बनने के लिए नौ साल से 15 साल की उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा नीलाम किया जाता है। फिर इन बच्चों को ये शातिर गिरोह शादियों में गहने चुराने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बच्चों को लीज पर लेने का भी खेल होता है, जिसकी कीमत सालाना 10 से 12 लाख रुपये है। हाल ही में पुलिस ने एक गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिनमें दो किशोर भी शामिल थे। जिन्होंने दिल्ली और पंजाब में चोरियां की थीं।

दरअसल, ये बच्चे मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के हैं, जो उत्तर भारत के महानगरों में जाकर शादियों में चोरी को अंजाम देते हैं। पुलिस ने खुलासा किया है कि शादी के सीजन में बैंड में या अन्य काम करने के बहाने ये बच्चे शादी में शामिल हो जाते और चोरी करते है। डीसीपी क्राइम भीष्म सिंह ने बताया मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के कुछ ही गांवों में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो बच्चों को चोरी के लिए इस्तेमाल करते हैं। इन बच्चों को नीलामी के बाद प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे नकदी, आभूषणों के बैग और अन्य कीमती सामानों को निशाना बना सकें और उन्हें उठा सकें। बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार किया जाता है ताकि गिरफ्तारी के बाद अपना मुंह न खोलें।

डीसीपी ने बताया समारोह में शामिल होने के लिए उन्हें बेहतरीन कपड़े और खाने-पीने का तरीका सिखाया जाता है, ताकि किसी को संदेह न हो। गिरोह में वयस्क पुरुष और महिलाएं शामिल हैं, जो आमतौर पर किराए के घरों में रहते हैं और बच्चों को काम पर छोड़ने के बाद बाहर ऑटोरिक्शा और मोटरसाइकिलों में इंतजार करते हैं।


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here