चंद्रयान 3 अपडेट: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 14 दिनों के बाद फिर से सूरज की किरणें पहुंचने लगी हैं, जिससे भारतीय मून मिशन चंद्रयान-3 को नए उम्मीद की किरण मिली है। चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक लॉन्च होने के बाद, इसरो अब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है ताकि वे वैज्ञानिक प्रयोग जारी रख सकें।
इसरो के चंद्रम-3 मिशन के साथ संचार की स्थापना करने का प्रयास है। इसके बाद, वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह के अध्ययन के लिए नए डेटा का उपयोग करने का अवसर मिलेगा।
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने इस बारे में बताया, “चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर तापमान माइनस 120 से 200 डिग्री सेल्सियस हो जाने पर हमने लैंडर और रोवर को स्लीप मोड पर डाल दिया था, ताकि उन्हें खराबी से बचाया जा सके। अब सूरज की किरणें फिर से पहुंचने लगी हैं, और हमें उम्मीद है कि लैंडर-रोवर के सोलर पैनल फुल चार्ज हो जाएंगे, जिसके बाद हम उन्हें फिर से काम पर लगा सकेंगे।”
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जो जानकारी मिलेगी, वह चंद्रयान-3 पेलोड के द्वारा संचालित किए जा सकते हैं और यह वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत होगा। इस मिशन के साथ, भारत ने चंद्रमा की गहराईयों का अध्ययन करने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। चंद्रमा, पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह होता है और यहां पर जीवन की खोज के लिए कई देश अपने शोध कार्यों में जुटे हुए हैं। चंद्रमा के सतह के अध्ययन से हमें सूखे और प्रशांत जलवायु के लिए मानव वास्तविकता की खोज करने में मदद मिल सकती है।
चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने से भारत ने अपनी अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है और सूर्य की किरणों के साथ हो रहे इस नए संचार के बाद अब विज्ञान और तकनीक की दुनिया एक और उत्सव मना रही है।