Home उत्तराखंड उत्तराखंड के दो शेर चीन को घेरने के लिए गुपचुप गये थे...

उत्तराखंड के दो शेर चीन को घेरने के लिए गुपचुप गये थे भूटान, मिले कई सकारात्मक परिणाम

पिछले साल भारत और चीन के सम्बन्ध बहुत ही निचले स्तर तक चले गये थे, इस विवाद का सबसे बड़ा कारण था डोकलाम मुद्दा, क्यूंकि डोकलाम ऐसा ट्राईजंक्शन है जहाँ भारत, चीन और भूटान की सीमाएँ एक दूसरे से लगती हैं और अगर इस पर पूरी तरह से चीन का कब्ज़ा हो जाए तो भारत का नार्थ-ईस्ट का पूरा हिस्सा वहां से चीन के बहुत नजदीक आ जाता जिससे की आने वाले समय में भारत को काफी समस्या हो सकती है, तो डोकलाम में चीन के द्वरा निर्माण किये जा रहे सड़क निर्माण और बाकी कार्यों का भारत ने पुरजोर तरीके से विरोध किया था और उसके बाद डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएँ आमने सामने आ गयी थी ये विवाद 16 जून से शुरू होकर 28 अगस्त तक पूरे 73 दिनों तक चला था।

और अब एक बार फिर खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने डोकलाम में निर्माण कार्य तेज कर दिए हैं और आने वाली गर्मियों में फिर से डोकलाम में विवाद बढ़ सकता है। इस पूरे मुद्दे पर पिछले दिनों 6 और 7 फरवरी को उत्तराखंड के दो शेर यानी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलहकार अजित डोभाल और सेना प्रमुख बिपिन रावत और  विदेश सचिव विजय गोखले गुपचुप तरीके से इस मुद्दे पर समर्थन के लिए और बातचीत के लिए भूटान गये थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच डोकलाम मुद्दे पर लंबी बातचीत हुई और चीन को कैसे घेरा जाए इस मुद्दे पर काफी सकारात्मक चीजें निकलकर सामने आई हैं, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग की समीक्षा की तथा इसे मजबूत बनाने पर विचार-विमर्श किया।

थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत हमेशा ही चीन से लगती हुई 4000 किमी लंबी सीमा पर विशेष ध्यान देने को कहते रहे हैं और साथ ही ये भी कहा था कि अब भारत को पश्चिमी सीमा से ध्यान हटाकर पूर्वी सीमा पर ध्यान देना चाहिए। वहीँ दूसरी और भूटान की सीमा चीन से तो लगती है पर भूटान के चीन के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं और भारत के करीबी मित्र और पड़ोसी होने के नाते और साथ ही भूटान की विदेशी नीति भारत के ही तय करने के कारण डोकलाम मुद्दा काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। अजित डोभाल और सेना प्रमुख विपिन रावत और विदेश सचिव विजय गोखले की इस भूटान यात्रा से भारत को डोकलाम मुद्दे पर भूटान का अहम सहयोग प्राप्त हो गया है।