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पायलट की समझदारी से CM रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश होने से बचा, सरकार और भारतीय सेना में जबरदस्त टकराव

बात है कल यानी रविवार 18 फरवरी की, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को उत्तरकाशी जिले के सावनी गाँव जाना था जो अभी हाल में ही रात में आग लगने के कारण पूरी तरह से तबाह हो गया था, तो मुख्यमंत्री वहां उनकी मदद के लिए जा रहे थे। इस दौरान जब मुख्यमंत्री की फ्लीट उनके निवास स्थान से जीटीसी हेलिपैड के लिए जा रही थी तो इस दौरान सेना के जीओसी सब एरिया देहरादून ने अपनी निजी वाहन को को फ्लीट के आगे लगा दिया इस पर थानाध्यक्ष कैंट ने जीओसी को बताया कि पीछे से मुख्यमंत्री की फ्लीट आ रही है तो वो अपना वाहन हटा लें तो इस पर जीओसी भड़क गये और सीओ सिटी और थानाध्यक्ष कैंट को कहने लगे कि ये पूरा हमारा एरिया है और हमारी मर्जी के बिना आप यहाँ नहीं आ सकते हो और इस विवाद के दौरान उन्होंने सभी वाहनों को रोके रखा और सिर्फ मुख्यमंत्री का वाहन ही अन्दर हेलिपैड में प्रवेश कर पाया और उसके बाद सीएम रावत उत्तरकाशी के लिए प्रस्थान कर गये।

अब जब मुख्यमंत्री का उत्तरकाशी से वापस जीटीसी हेलिपैड आने का कार्यक्रम था तो बात लगभग 3.30 बजे की है तो सेना के जवानो ने मुख्यमंत्री की लेंडिंग को रोकने के लिए हेलीपैड पर दो ड्रम रख दिए, जब पायलट दूर से हेलिकॉप्टर को लेकर आ रहे थे तब तो उन्हें ये ड्रम नहीं दिखे पर जैसे ही वो नजदीक आये तो पायलट को ड्रम दिखाई दिए और फिर पायलट ने बहुत ही बहादुरी से काम करते हुए मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर को दूसरी जगह पर लैंड करवाया। वैसे देखा जाए तो ये गंभीर मामला बनता है अगर पायलट को वो ड्रम नहीं दिखते तो हेलिकॉप्टर क्रैश भी हो सकता था, वो तो पायलट की सूझबूझ से एक हादसा होने से टल गया। अब इस पूरे मामले के बाद मुख्यमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने इस संबंध में थाना कैंट में रिपोर्ट लिखाई है और इस पूरे मामले में जरुरी कार्यवाही करने को भी कहा है, इसकी शिकायत भारत सरकार के गृह मंत्रालय से भी की जा रही है। इस बात से CM रावत भी काफी खफा नजर आये और कहा कि जमीन सेना की निजी नहीं है, यह भारत माँ की जमीन है।