वो एक खबर जो हमेशा से ही भारत को परेशान करते हुए आ रही थी वो है चीन भारत की सीमा पर अपनी तरफ से सड़कों का जाल बिछा चुका है। और अगर युद्ध की नौबत आयी तो वो अपने टैंकों और अन्य साजो-सामन को आसानी से बॉर्डर पर पहुंचा सकता है। जबकि भारत की तरफ से आज से पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ था और बॉर्डर पर सड़कों और पुलों के जाल के मामले में हम काफी पीछे नजर आते थे।
लेकिन पिछले कुछ समय से माहौल कुछ बदला-बदला नजर आ रहा है क्यूंकि भारत की तरफ से भी बॉर्डर पर सड़कों और पुलों के निर्माण की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया था। इसी कड़ी में बीआरओ द्वारा हाल ही में सीमावर्ती चौकियों पर नेलांग-नागा और नागा-सोनम मोटर मार्ग के साथ ही यहां जाड़ गंगा पर 45 मीटर लंबा मोटर पुल तैयार किया है। बृहस्पतिवार को यह सड़क और पुल राष्ट्र को समर्पित किए गए। सड़क और पुल बनने से सेना और आईटीबीपी के जवानों को सीमावर्ती चौकियों की निगरानी में बड़ी मदद मिलने वाली है।
आपको बता दें भारत-चीन सीमा पर चीन की ओर से सड़क और रेल लाइन पहुंचाने की सूचनाएं विभिन्न माध्यमों से मिलती रही हैं, जबकि भारत की ओर से अग्रिम चौकियों की निगरानी के लिए सेना एवं आईटीबीपी के जवानों को मीलों दूरी दुर्गम पगडंडियों के सहारे तय करनी पड़ रही थी। बीते वर्षों में बीआरओ ने इस दिशा में तेजी से काम शुरू किया है। बॉर्डर इलाके में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। बीआरओ ने हाल ही में यहां नेलांग से नागा 8.1 किमी और नागा से सोनम तक 11.2 किमी लंबी सड़क तैयार की है। इसके साथ ही नागा के निकट जाड़गंगा पर 45 मीटर स्पान का मोटर पुल भी तैयार किया गया है।
बीआरओ अधिकारी ने बताया कि समुद्र सतह से 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में अधिकांश समय बर्फ जमी रहने के कारण काम करना काफी मुश्किल था। साथ ही कम तापमान के कारण निर्माण में उच्च गुणवत्ता देना भी बड़ी चुनौती था। नागा के निकट जाड़गंगा पर प्री स्ट्रेसिंग कंक्रीट तकनीक से 45 मीटर स्पान का मजबूत डबल लेन पुल तैयार किया गया है, जबकि सड़कों को ब्लैक टॉप करने में कोल्ड मिक्स तकनीक अपनाई गई है। बार्डर क्षेत्र में अन्य सड़कों और पुलों का निर्माण भी युद्धस्तर पर चल रहा है।