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उत्तराखंड में सेना ने रिकॉर्ड 5 दिन में तैयार किया वैली ब्रिज, जानिये पूरी कहानी

बात है बीते साल 2018 के अंतिम दिनों की जब 28 दिसम्बर को देहरादून के गढ़ी केंट में बीरपुर पुल टूट गया था, जिसमें दो बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस पुल के टूट जाने से गढ़ी केंट के 20 से ज्यादा गांवों का संपर्क देहरादून से कट गया था। इसके बाद बाणगंगा-सप्लाई से होकर ट्रैफिक डायवर्ट किया गया था, लेकिन एक जनवरी को इस मार्ग पर भी घट्टीखोला में बने पुल पर दरारें आने से आवाजाही बंद कर दी गई। अगर किसी सामान्य काम या आपात स्थिति में उन्हें देहरादून आना पड़ता था तो इसके लिए उन्हें एक लम्बा सफ़र तय करना पडता था। तब ये खबर पूरे उत्तराखंड की सुर्खियों में भी रही थी।

सेना को भी इस दौरान मुसीबतों से दो-चार होना पड़ रहा था क्यूंकि सेना के भारी वाहन भी इस दौरान आवाजाही नहीं कर पा रहे थे| ऐसे में सेना ने रक्षा मंत्रालय से वैली ब्रिज निर्माण की अनुमति की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके बाद सेना की लगभग 1 महीने की कोशिशों के बाद 30 जनवरी को रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिलते ही सेना ने घट्टीखोला में वैली ब्रिज का निर्माण शुरू कर दिया था। अब सेना के नाम उत्तराखंड में एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है क्यूंकि सेना ने गढ़ी कैंट में पांच दिन के रिकार्ड समय में वैली ब्रिज तैयार कर दिया है। मंगलवार को इस वैली ब्रिज से वाहनों का विधिवत संचालन उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल भास्कर कलिता ने शुरू कर दिया है।

उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल भास्कर कलिता ने इस मौके पर कहा कि वैली ब्रिज का निर्माण इतने कम समय में सिर्फ सेना ही कर सकती है और निर्माण कार्य में काम करने वाले सभी सैनिक बधाई के पात्र हैं। सेना के बनाए वैली ब्रिज की खासियत यह है कि इससे सभी प्रकार के भारी वाहन भी गुजर सकते हैं। यहां तक कि सेना के टैंक और बड़े ट्रक भी आसानी से इस वैली ब्रिज से आवाजाही कर सकते हैं। इन दिनों सेना की ओर से भी इसकी मजबूती का ट्रायल भी लिया जा रहा है।


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