कहते है न ‘जाको राखे साईयां मार सके न कोय’ यह कहावत फिर चरितार्थ हुई। बारिश के दौरान मकान के खतरे की जद में आने की आशंका को देखते हुए अपनी मां के साथ सुरक्षित स्थान पर जा रहा पांच वर्षीय तन्मय दो सौ मीटर बहने के बाद भी सुरक्षित रहा। यह बालक इस दौरान करीब साढ़े चार घंटे तक मलबे में भी दबा रहा। नाले में बहने से बुरी तरह से घायल मासूम का सीएचसी मुनस्यारी में उपचार चल रहा है। रात मूसलाधार बारिश के दौरान धापा गांव में पहाड़ी से मलबा गिरने लगा। भूस्खलन की आशंका को देखते हुए अपने पांच साल के बेटे तन्मय के साथ गीता देवी रात करीब साढे़ बारह बजे घर से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान की ओर भागी।
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इसी दौरान एक नाले में तन्मय का हाथ छूटने से वह नाले में बह गया। उसे बचाने के प्रयास में गीता देवी भी घायल हो गई। बच्चे को नाले में बहता देख जब उसने चीख पुकार मचाई तो ग्रामीण मौके पर आ गए। रात में ग्रामीणों ने उसकी काफी तलाश की लेकिन वह नहीं मिला। सुबह करीब पांच बजे तन्मय के ताऊ पूरन सिंह धपवाल ग्रामीणों के साथ उसकी ढूंढ खोज कर रहे थे। इसी दौरान घटना स्थल से करीब दो सौ मीटर नीचे मलबे में बच्चे का हाथ हिलता दिखाई दिया। तन्मय को मलबे से निकालने के बाद गांव के निवासी फार्मेसिस्ट भूपेंद्र रिलकोटिया ने उसका प्राथमिक उपचार किया। मासूम तन्मय के सुबह के समय सुरक्षित मिलने से गीता देवी की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। ग्रामीणों का कहना है कि मलबे में दो सौ मीटर तक बहने के बाद भी बच्चे का सुरक्षित बचे रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है।