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गौरीकुंड भूस्खलन: नदी और मलबे में जमीन से आसमान तक हो रही जिंदगी की तलाश, अब तक नहीं मिला सुराग

गौरीकुंड हादसे में लापता की संख्या 17 से बढ़कर 20 हो गई थी जबकि तीन के शव बरामद हो गए हैं। अब तक कुल 23 लोग इस घटना के शिकार हुए हैं। जिन तीन व्यक्तियों के शव बरामद किए गए थे उनकी शिनाख्त होने के बाद संख्या 23 हुई। हादसे में लापता 20 लोगों का तीसरे दिन भी कोई पता नहीं चल पाया है। लापता की खोज के लिए घटनास्थल से लेकर श्रीनगर डैम तक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, वाईएमएफ और पुलिस-होमगार्ड के जवान जुटे हुए हैं। ड्रोन कैमरा से भी लापता लोगों की खोजबीन की जा रही है। जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार और पुलिस अधीक्षक डॉ. विशाखा अशोक भदाणे निरंतर मॉनीटरिंग कर रहे हैं।

बीते दिन भी सुबह करीब 5.30 बजे से घटनास्थल पर रेस्क्यू शुरू हो गया था। हाइड्रा मशीन की मदद से मलबे के ढेर को कई बार पलटा गया लेकिन कुछ नहीं मिला। इस दौरान एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के जवान मंदाकिनी नदी के मध्य हिस्से तक भी पहुंचे लेकिन कोई सफलता नहीं मिला। वहीं, केदारनाथ में बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ने से रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है। लापता लोगों की खोजबीन के लिए पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जिले की सीमा में संचालित सोनप्रयाग कोतवाली, थाना गुप्तकाशी व ऊखीमठ, थाना अगस्त्यमुनि और फायर सर्विस रतूड़ा के जवानों और जल पुलिस के जवानों ने मंदाकिनी व अलकनंदा नदी में कुंड, अगस्त्यमुनि, तिलवाड़ा, रुद्रप्रयाग, खांकरा होते हुए धारी देवी तक खोजबीन की।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि विषम परिस्थितियों और कठिन हालातों में लापता की खोजबीन के लिए अभियान चल रहा है लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पौड़ी, नई टिहरी और हरिद्वार जिला प्रशासन व पुलिस से भी अपने-अपने क्षेत्र में लापता की खोज के लिए रेस्क्यू अभियान चलाने के लिए सहयोग मांगा गया है।


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