उत्तराखंड के वीर जाबाजों की कहानियाँ देशभर में बड़ी शान से कही जाती हैं क्यूंकि यहाँ के लोगों को देशभक्ति की ऐसी भावना होती है जो शायद ही किसी दूसरी जगह देखने को मिले और बचपन से ही यहाँ के बच्चों का सपना होता है भारतीय सेना में जाकर देश सेवा करना। ऐसे ही एक नोजवान के बारे में हम यहाँ बता रहे हैं जिनका नाम है विवेक थरकोटी की, वो कहते हैं न कि प्रतिभा कभी भी सुविधाओं की मोहताज नहीं होती है तो इसी एक बात को सत्य साबित किया है पहाड़ के इस होनहार ने। विवेक थरकोटी रहने वाले हैं पिथोरागढ़ जिले के एक छोटे से गाँव लेलु के इनके पिता श्याम सिंह थरकोटी जहाँ एक ओर बैंक में कार्यरत हैं तो वहीँ इनकी माता निर्मला थरकोटी भी शिक्षिका हैं।
घर में शुरू से ही पढाई का अच्छा माहोल था जिसके कारण बचपन से ही विवेक काफी मेधावी छात्र थे विवेक ने 5वीं तक की पढाई विश्व भारती पब्लिक स्कूल वड्डा कस्बे से पूरी की इसके बात आठवीं तक की पढाई उन्होंने एशियन स्कूल से पूरी की इसके बाद इन्टरमीडिएट तक की पढाई घोडाखाल सैनिक स्कूल से पूरी की और इसके बाद पिथोरागढ़ महाविद्यालय से बीएससी और एमए की परीक्षा पूरी की। क्यूंकि सेना में जाने का विवेक का सपना था तो उन्होंने अपनी पढाई के दौरान ही सीडीएस (कंबाइड डिफेंस सर्विस) की तैयारी शुरू कर दी थी और अब विवेक ने अपनी मेहनत और लगन से देशभर में इस परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया है।
बात अगर विवेक थरकोटी की करी जाए तो उन्हें बचपन से ही एडवेंचर स्पोर्ट्स का बहुत ही ज्यादा शोक रहा है जैसे स्कीइंग, राफ्टिंग, बंजी जंपिंग, पर्वतारोहण आदि और फिर 9वीं कक्षा के बाद से ही विवेक ने आर्मी ज्वाइन करने का सपना देखा हुआ था और अब देशभर में पहला स्थान पाकर उन्होंने अपने सपने को तो पूरी किया ही है साथ में ही पूरे प्रदेश का नाम भी रोशन किया है। विवेक अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरुजनों को देते हैं जिनकी वजह से ही उनका ये सपना पूरा हो सका।