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अजीत डोभाल का पहाड़ी अंदाज, शानदार मिसालें देकर युवाओं में भरा नया जोश, तालियों से गूंजता रहा हॉल

कल यानी 18 मई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दायें हाथ कहे जाने वाले अजीत डोभाल अपनी जन्मभूमि उत्तराखंड के दौरे पर थे, इन दिनों अजीत डोभाल को उत्तराखंड और देश की शान कहा जाता है क्यूंकि उनकी वजह से ही भारत पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर पाया था और पाकिस्तानी सैनिकों को उनके घर में घुसकर मारकर हमारे बहादुर सिपाही वापस भारत की सरजमी पर आये थे इसके पीछे के असली मास्टरमाइंड अजित डोभाल ही थे और वो अपने इसी साहस और कोशल के दम पर कीर्ति चक्र भी हासिल कर चुके हैं।

18 मई को अजित डोभाल पूरे उत्तराखंडी परिवेश में सजे हुए थे क्यूंकि मौका था कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डीलिट की मानद उपाधि दिए जाने का और वो इसके लिए नैनीताल आये हुए थे। उसके बाद मंच से जब उनके संबोधन की बारी आयी तो उन्होंने अपनी बातों से युवाओं में एक नया जोश भर दिया उन्होंने भारत के नौजवानों से कहा कि वो हमेशा 50 साल आगे की सोच रखें, क्यूंकि दुनियां में एक समय था जब शारीरिक शक्ति वाले का बोलबाला था उसके बाद जमीन मालिकों का महत्व बढ़ा फिर व्यवसाय और सैनिक शक्ति का बोलबाला दुनियां पर हुआ है और अब जिस देश के बाद जितनी अच्छी तकनीकि है वही दुनियां पर राज कर रहा है लेकिन अब इसके आगे क्या होगा कहा नहीं जा सकता इसलिए हमेशा आगे की सोच रखें।

फिर उन्होंने मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के उदाहरण द्वारा समझाया कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए क्यूंकि मुहम्मद गौरी हर बार अपनी पराजय के बाद भी पृथ्वीराज चौहान से लड़ता रहा और अंत में उसे विजय हासिल हुई। जब गंगा गौमुख से निकलती है तो उसे किसी ने उसका रास्ता नहीं बताया उसने अपना रास्ता खुद तय किया और वो गंगा सागर में जाकर मिली इसलिए संसार को अंधकार से निकालने के लिए हमें स्वयं दीपक बनना होगा। इस पूरे संबोधन के दौरान पूरा हॉल तालियों और सीटियों की गडगडाहट से गूंजता रहा और सभी उनकी बातों से बहुत प्रभावित हुए।


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