नेतागिरी की हनक कैसी होती है अगर आपको ये समझाना हो तो उत्तरप्रदेश के इस विधायक के किस्से को जान लीजिये। विधायक अमन मणि त्रिपाठी ने अपने विधायकी की ऐंठ में नियम-कायदों को उत्तराखंड में ताक पर रख दिया। सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता के पितृ कार्य के लिए आए विधायक ने बगैर पास बदरीनाथ जाते हुए कई जिलों की पुलिस को अपने रुआब में ले लिया था। लेकिन चमोली जिले में प्रवेश करते ही उनकी एक नहीं चली और जब गोचर में उन्हें कड़े विरोध का सामना किया तो वह बैरियर पर रोकने वाले पुलिस, प्रशासन के अफसरों से ही भिड़ गए। कर्णप्रयाग के उप जिलाधिकारी ने उन्हें नियम बताने का प्रयास किया तो उनसे भी अभद्रता की गई।
इसके बाद विधायक जी ने गौचर को भी पार कर दिया लेकिन फिर कर्णप्रयाग में उनकी एक नहीं चली। विधायक ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य के निमित्त बदरीनाथ जा रहे हैं। उनके पास बाकायदा उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश और देहरादून के अपर जिलाधिकारी रामजी शरण के हस्ताक्षर से जारी अनुमति पत्र भी थे। उनके द्वारा दिखाए गए पत्र में बदरीनाथ के साथ ही केदारनाथ यात्रा की भी अनुमति दी गई है। बावजूद इसके पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया। कुछ देर हंगामा करने के बाद विधायक लौट गए।
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उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता अमरमणि त्रिपाठी के विधायक पुत्र अमनमणि त्रिपाठी तीन कारों के काफिले में बद्रीनाथ जा रहे थे। पर कर्णप्रयाग से उन्हें वापस लौटना पड़ा है। बाद में मुनिकीरेती में उन्हें पकड़ लिया गया। राष्ट्रीय आपदा एक्ट और धारा 188 के तहत मुनिकीरेती थाने में विधायक समेत 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर बाद में निजी मुचलके पर छोड़ा गया। उधर चमोली जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि बदरीनाथ के कपाट बंद होने की वजह से विधायक और उनके साथियों को बदरीनाथ नहीं जाने दिया गया। पर एक बड़ा सवाल तो अपने आप ही यहाँ यह उठ जाता है कि जब किसी को भी बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने की इजाजत नहीं है तो इन विधायक साहब को कैसे उत्तराखंड प्रशासन ने पास जारी कर दिया? जहां एक ओर बद्रीनाथ के रावल को क्वारंटाइन होना जरूरी है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के विधायक को सैर कराने के लिये अन्य 10 लोगों के साथ पहाड़ खुले हैैं।