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चारधाम यात्रा में इस बार टूटे कई सारे रिकॉर्ड… पर्यटन और तीर्थाटन ने भरा फर्राटा

कोरोना की मार से उबर कर इस वर्ष चारधाम यात्रा की रौनक लौटी तो यात्रियों की आमद का रिकार्ड तो टूटा ही, व्यवसाय और आमदनी ने भी लंबी छलांग लगा दी। केदारनाथ और यमुनोत्री में घोड़ा खच्चर, हेली और डंडी-कंडी से 211 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। केदारनाथ, यमुनोत्री धाम में घोड़ा खच्चर, हेली सेवा, डंडी-कंडी से 211 करोड़ का कारोबार हुआ है। वहीं, गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को भी 50 करोड़ की आय का अनुमान है। चारधाम यात्रा स्थानीय व्यक्तियों और व्यवसायियों के लिए आय का एक बड़ा जरिया है। चाहे वह होटल व्यवसायी हों, छोटे कारोबारी या फिर परिवहन संचालक। सभी की आर्थिकी इस यात्रा से जुड़ी हुई है।

इस वर्ष चारधाम में से तीन धाम केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट अब बंद हो चुके हैं, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को बंद होंगे। इस वर्ष चारधाम यात्रा ने कई नए कीर्तिमान बनाए हैं। अभी तक 43.30 लाख से अधिक यात्री चारधाम यात्रा कर चुके हैं। अभी तक जिन तीन धाम के कपाट बंद हुए हैं, उनमें गंगोत्री में इस वर्ष 6.24 लाख यात्रियों ने गंगाजी के दर्शन किए, यमुनोत्री में यमुनाजी के दर्शन करने वालों का आंकड़ा 4.85 लाख है। वहीं केदारनाथ धाम में इस वर्ष 15.36 लाख तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए हैं। वहीं, बदरीनाथ में 16.56 लाख यात्री दर्शन कर चुके हैं।

बात करें कारोबार की तो केदारनाथ में ही स्थानीय व्यापारियों को खासा लाभ हुआ है। केवल घोड़ा-खच्चर, हेली और डंडी कंडी से ही 190 करोड़ रुपये का व्यवसाय हुआ है। इनमें घोड़े खच्चर संचालकों को 109.28 करोड़, हेली कंपनियों को 75.40 करोड़, डंडी-कंडी से 86 लाख प्राप्त हुए हैं। सरकार को भी सोनप्रयाग पार्किंग से 75 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ है। वहीं यमुनोत्री में घोड़े-खच्चर वालों का लगभग 21.75 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। इस बार केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में महाराष्‍ट्र के एक दानी की सहायता से सोने की परतें चढ़ाईं। इससे पहले गर्भगृह में चांदी की परतें लगी हुई थी। चांदी की परतों को हटाकर मंदिर के भंडार गृह में सुरक्षित रखा गया है। मंदिर में सोने की परतें चढ़ाने का कार्य तीन दिन में कपाट बंद होने के एक दिन पहले किया गया।


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