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माँ गंगा के लिए लड़ते हुए 113 दिन से उपवास पर बैठे स्वामी सानंद ने देह त्यागी, देशभर में जबरदस्त राजनीति शुरू

माँ गंगा के लिए मातृ सदन ने निगमानंद के बाद गुरुवार को अपना एक और तपस्वी खो दिया है। बात है 22 जून की जब स्वामी सानंद अनशन के दिन ही उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि वे गंगा के लिए अपने प्राण त्यागने के लिए भी तैयार हैं। अनशन के आखिरी दिनों में गंगा तपस्वी की पीड़ा उनके शब्दों में इस दौरान साफ झलकती थी और गंगा एक्ट बनाना प्रधानमंत्री की इच्छा पर निर्भर करता है यदि वो चाहें तो कोई भी उनका विरोध नहीं करेगा। उन्होंने साफ कहा कि जीएसटी और नोटबंदी लाने का फैसला भी प्रधानमंत्री का था। सानंद ने कहा था कि मोदी को गंगा का कोई ध्यान ही नहीं है उनका ध्यान तो सिर्फ इकोनॉमिक अफेयर्स पर है।

उन्होंने मातृसदन में अनशन 22 जून को शुरू कर दिया था, इसे उन्होंने तप नाम दिया था। इस दौरान वे केवल नींबू, शहद, नमक और पानी ले रहे थे। उन्हें मनाने के लिए केंद्रीय मंत्री उमा भारती दो बार खुद मातृसदन आईं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने पत्र के साथ संदेशवाहक भेजकर उनके आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को स्वामी सानंद अपना शरीर दान कर गए हैं। उनकी इस इच्छा का सम्मान करने के लिए एम्स प्रशासन जुट गया है एम्स में डीन डॉ विजेंद्र सिंह ने बताया कि जब स्वामी सानंद स्वस्थ थे तो उन्होंने अपना शरीर एम्स को दान करने के लिए संकल्प पत्र हमें भिजवाया था।

स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मौत को मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने सरकार के इशारे पर की गई हत्या करार दिया है। उनका आरोप है कि हरिद्वार जिला प्रशासन, एम्स के डायरेक्टर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी स्वामी सानंद की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं उन्होंने इन सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। स्वामी सानंद को बुधवार दोपहर जब प्रशासन ने जबरन उठाकर एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया तो वह पूरी तरह ठीक थे। फिर आखिर ऐसी क्या बात हुई कि अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनकी मौत भी हो गई।

 


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