सोमवार को यूनाइटेड नेशन्स क्लाइमेट एक्शन समिट के दौरान दुनिया के 16 बच्चों ने क्लाइमेट समिट के ख़िलाफ़ दुनियां की सरकारों की बेरुखी को लेकर एक वैधानिक कंप्लेन्ट फ़ाइल की। इस समिट का हिस्सा बने कुछ बच्चे, जिनकी उम्र 8 से 17 साल के बीच रही. इन्हीं में शामिल थी उत्तराखंड की 11 साल की रिद्धिमा पांडे। रिद्धिमा ने पर्यावरण संकट और उनके अधिकारों के हनन को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद की. ये वही समिट है, जिसमें स्वीडन की एक्टिविस्ट, ग्रेटा थनबर्ग ने क्लाइमेट चेंज पर ज़बरदस्त स्पीच दी थी।
छह साल पहले, रिद्धिमा पांडे अपने परिवार के साथ नैनीताल से हरिद्वार जाकर बस गईं। हर साल जुलाई में, कावड़ यात्रा निकाली जाती है। कावड़ का आयोजन गंगा नदी के पास होता है लेकिन हाल के समय में बढ़ते तापमान की वजह से गर्मिंयों और सर्दियों दोनों ही मौसम बेहद गरम हो गए हैं। बढ़ते तापमान ने सीधे तौर पर गंगा नदी को प्रभावित किया और हाल ही में आईं बाढ़ों के चलते उसके जल स्तर में कमी आ गई। इस बदलाव की वजह से सालाना धार्मिक कांवड़ यात्रा को चुनौती मिलने लगी जो कि गंगा के इर्द-गिर्द ही घूमती है। कई बार भारी बारिश के कारण गंगा खतरे के निशान तक पहुंच जाती है, जिससे बाढ़ का खतरा पैदा हो जाता है और बारिश के बढ़ते तूफान की वजह से स्थानीय बुनियादी ढांचा चौपट हो जाता है।
रिद्धिमा को भारत के जंगलों की रक्षा का शौका है. 2017 में, सिर्फ नौ साल की उम्र में रिद्धिमा पांडे ने अपने अभिभावकों की मदद से जलवायु परिवर्तन और संकट से उबरने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। 2013 में, रिद्धिमा और उनके परिवार ने हरिद्वार में ऐसी ही विनाशकारी बारिश देखी जिससे भयंकर बाढ़ आई और कई लोगों की जानें चलीं गईं।
यूएन काउंसिल में शिकायत दर्ज कराने के बाद रिद्धिमा का देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट और उनके घर पर भव्य स्वागात हुआ। हर कोई अपनी इस लाडली का खुलेमन से स्वागत करता नजर आया। रिद्धिमा को लेने एयरपोर्ट पर भी काफी संख्या में लोग पहुंचे तो यही हाल उनके घर पर था। परमार्थ आश्रम ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने एयरपोर्ट पर पहुंच रिद्धिमा का स्वागत किया। मौहल्ले वालों ने ढ़ोल की थाप पर इस बच्ची का स्वागत किया।