कभी-कभी हमारे सामने ऐसी घटनायें सामने आ जाती हैं कि पल भर के लिए उसपे भरोसा करना भी मुश्किल हो जाता है और लगता है पता नहीं लोग अपनी इंसानियत को कहाँ छोड़ कर आ गये हैं। अब ऐसा ही एक वाकया यहाँ सामने आया है दरसल बात है बीते मंगलवार 4 दिसम्बर की जब चमोली जनपद के घाट ब्लाक के घुनी गांव निवासी मोहन सिंह अपनी 8 माह की गर्भवती पत्नी नंदी देवी (32) को गोपेश्वर चिकित्सालय ले गये। इसके बाद डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड व अन्य जरूरी जांचे कीं और पूरे दिन उन्होंने स्थिति से अवगत नहीं कराया। लेकिन शाम 4 बजे के बाद कहा कि सामान्य डिलीवरी होना संभव नहीं है क्यूंकि बच्चे की धड़कन काफी कम है, हायर सेंटर ले जाना पड़ेगा।
उसके बाद जब मोहन सिंह ने अस्पताल से एम्बुलेंस की सुविधा मुहैया कराने को कहा तो उनके द्वारा ये सुविधा प्रदान नहीं की गयी जिसके कारण अगले दिन यानी 5 दिसम्बर को मोहन सिंह को अपनी पत्नी नंदी देवी को बस से श्रीनगर के बेस ले जाने को मजबूर होना पड़ा। वो अपने घर से बैठकर श्रीनगर के लिए आ रहे थे इसी बीच रुद्रप्रयाग से थोडा पहले नगरासू से महिला को तेज दर्द होने लगा। इस दौरान पति उसे ढांढस बंधाता रहा लेकिन तिलणी में दर्द इतना तेज हुआ कि महिला जोर-जोर से चिल्लाने लगी और चालक ने बस रोक कर उन्हें उतर जाने को कहा। इस दौरान चालक और परिचालक दोनों उनसे किराये के लिए बत्तमीजी भी करने लगे पर बस में बैठे सभी अन्य लोग केवल दर्शक बने रहे उन्हें उस महिला की अवस्था पर थोडा भी तरस नहीं आया।
इसके बाद दोनों पति-पत्नी को इसी अवस्था में बस से नीचे उतरना पड़ा इस दौरान मोहन सिंह आने जाने वाली कारों से लिफ्ट भी मांगते रहे पर कोई भी उन्हें बिठाने को तैयार नहीं हुआ मोहन सिंह ने फिर 108 को भी फोन कर दिया। जैसे ही महिला सड़क किनारे बैठने को हुई, उसे तेज रक्तस्राव होने लगा और कुछ देर में बच्चा पैदा हो गया। लेकिन सही उपचार के अभाव में नवजात ने मौके पर ही दम तोड़ दिया और फिर महिला के पति ने निकट ही मृत नजवात को दफना दिया। उसके कुछ देर बाद जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग से एम्बुलेंस मौके पर पहुंची और महिला को अस्पताल लाई यहां वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. डीवीएस रावत ने पीड़िता की जांच कर उचित उपचार किया और बताया कि महिला की स्थिति समान्य है।