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रिखणीखाल के ग्राम जुई में बन रहे मालू व कंदार के पत्तल दोने, यूनिट से लोगों को मिल रहा है रोज़गार

रिखणीखाल के जुई गाँव में देवेश आदमी ने एक नई पहल की है जिस में खुद के सोच व समझ से एक मशीन बनाई है। उस मशीन से मालू व कंदार के पत्तों से पत्तल दोने बन रहे है। आमतौर पर यह मशीन बाजार में 10 लाख की है मगर देशी जुगाड़ से देवेश आदमी ने मात्र 2.5 लाख में यह मशीन तैयार किया है। जिस मशीन में कुछ पुजे ट्रेक्टर व कुछ आटा चक्की के लगे है। ग्राम सभा जुई में लगे इस मशीन से कागज व पत्तों के पत्तल दोने एक साथ बनाई जा सकती है। इस छोटे से यूनिट को लगाने में जो सब से बड़ा सहयोग देवेश आदमी ने दिया है वो है इस यूनिट की संचालक सुषमा गुसाई नीर व बीरेंद्र सिंह नेगी का सुषमा गुसाई नीर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और कवियत्री भी है श्री वीरेंद्र नेगी कुछ वक्त पहले नोएडा से नोकरी छोड़ गाँव में आये बड़े स्तर पर बकरीपालन औऱ व्यवसायिक खेती करते है।

देवेश आदमी का यह प्रयोग इस वजह से हुआ क्यों कि विगत वर्ष पौड़ी के जंगलों में बहुत आग लगी थी जिस वजह से बहुत दिनों तक क्षेत्र में धुंवा के बादल बने रहे तो देवेश आदमी ने सोचा क्यों न इन पत्तों का सदुपयोग किया जाय ताकि आग लगने जैसी मानव आपदा से बचा जाए और ग्रामीणों की आजीविका भी सुनिश्चित हो सके। प्लास्टिक थर्माकोल के उपकरणों से होने वाले नुकसान से भी हम बच सकते है तो वनस्पतियों का सेवन कर के स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकता है।

आज जुई गाँव में इस रोज़गार के खुलने से करीब 15 महिलाओं को जहां रोजगार मिला वहीं लोगों ने यह भी सीखा है कि कैसे अपने संसाधनों का सदुपयोग किया जा सकता है। रोजगार के लिए शहरों का रुख करने से अच्छा है कि प्रकृति की अनुमोल धरोहर को समझे औऱ प्राकृतिक संसाधनों का सही से दोहन कर सके।

देवेश आदमी कुछ महीनों पहले ही बहुत अच्छी नोकरी छोड़ गाँव में आये। देवेश आदमी कवि व सामाजिक कार्यकर्ता हैं और अपने क्षेत्र रिखणीखाल में इस तरह के अनेकों रचनात्मक कार्यों को कर रहे हैं। देवेश जी का देहरादून बालावाला में पहाड़ी खाद्य उत्त्पादों की एक दुकान भी है जिस में पहाड़ों में उग रहे हर उत्त्पाद उपलब्ध है। यही नही देवेश आदमी के द्वारा बनाये इस मशीन की आज बहुत डिमांड है और जल्द ही रुद्रप्रयाग अल्मोड़ा में भी यही मशीन देवेश जी के द्वारा लगवाई जा रही है।

जब हम ने देवेश आदमी से पत्तल दोना यूनिट की बात की कि कितना मुनाफा हो रहा है तो उन का कहना था कि हमारे पास बाजार से मांग इतनी है कि जल्द एक अन्य यूनिट जुई में लगाने की तैयारी चल रही है। और इस संस्था को रिखणीखाल स्वयं सहायता समूह के नाम से रजिस्ट्रेशन करने जा रहे है। ताकि लोगों को अधिक से अधिक इस कारोबार से जोड़ा जा सके और हर व्यक्ति को स्वरोज़गार के प्रति प्रेरित कर सकें।


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