आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लैंसडौन क्षेत्र के विधायक दिलीप रावत और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बीच छिड़ी रार ने भाजपा को असहज स्थिति में ला दिया है। लैंसडौन विधायक ने तो मंत्री के विरुद्ध आमरण अनशन की चेतावनी तक दे डाली है। यह प्रकरण सामने आने के बाद पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि जहां तक विधायक और मंत्री के बीच तकरार की बात है तो शनिवार अथवा रविवार को दोनों से बातचीत की जाएगी। यदि कोई विषय है तो उसका समाधान किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है और इसे तोडऩे की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती।
लैंसडौन विधायक ने वन मंत्री पर लैंसडौन क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए केटीआर का कार्यालय लैंसडौन से संचालित करने और विद्युत वितरण खंड नैनीडांडा में अधिशासी अभियंता की तैनाती करने की मांग उठाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में तीन दिन में मांग पर कार्रवाई न होने पर विधानसभा के समक्ष आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है। लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गत 28 दिसंबर को पत्र भेजकर वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठाई थी। शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। पत्र में इस बार नाराजगी का एक बड़ा कारण विद्युत वितरण खंड नैनीडांडा में अधिशासी अभियंता की तैनाती न होना है।
आपको बता दें हाल में कोटद्वार मेडिकल कालेज को लेकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने जिस तरह के तेवर अपनाए, उससे भाजपा को असहज होना पड़ा था। अभी इस प्रकरण की आंच ठंडी भी नहीं हुई थी कि अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह और लैंसडौन क्षेत्र के विधायक दिलीप रावत के बीच तलवारें खिंचने का मामला सामने आने से पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रकरण में पार्टी नेतृत्व क्या निर्णय लेता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।