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जानिये आखिर क्यूँ मजबूर होकर एनआईटी के 900 छात्र चले गये अपने घर, प्रशासन में हडकंप

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) श्रीनगर के 900 छात्र छात्राएं कल मंगलवार को अपना कैंपस छोड़कर वापस अपने घरों को चले गये हैं और इसके पीछे कारण है परिसर में उन्हें मिलने वाली व्यवस्था जिनसे खफा होकर ही छात्रों ने ये निर्णय लिया है और सभी छात्रों ने मिलकर ये निर्णय लिया है कि जब तक स्थायी कैंपस और पुख्ता सुरक्षा इंतजाम नहीं हो पाते तब तक वो वापस नहीं लोटेंगे। इस संबंध में छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, मानव संसाधन मंत्री के साथ ही उत्तराखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी मेल, फैक्स व सोशल मीडिया के माध्यम से इस फैंसले से अवगत भी करा दिया है।

ये सभी छात्र-छात्राएं पिछले 19 दिनों से अपनी कक्षाओं का भी बहिष्कार कर रहे थे, मंगलवार सुबह ये सभी हास्टल में अपने कमरों पर ताले डालकर वापस अपने घर चले गए हैं, छात्रों की नाराजगी है कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रही है और इसीलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है। एनआइटी के कुलसचिव कर्नल सुखपाल सिंह का कहना है कि निदेशक डॉ. श्याम लाल सोनी ने घटनाक्रम से मानव संसाधन मंत्रालय के उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। आपको बता दें कि एनआइटी  श्रीनगर दो परिसरों में संचालित हो रहा है जहाँ एक ओर प्रयोगशाला और प्रशासनिक भवन पुराने आइटीआइ की जमीन पर बनाए गए हैं, जबकि कक्षाएं यहां से दो सौ मीटर दूरी पर पालीटेक्निक भवन में संचालित की जा रही हैं।

छात्र-छात्राओं को रहने के लिए जो ब्यवस्था की गयी है वो श्रीनगर में किराये पर लिए गये होटलों में की गयी है और अब छात्रों की मांग है कि ये सब एक ही कैंपस में होना चाहिए। आपको बता दें कि एनआइटी श्रीनगर का स्थायी कैंपस सुमाड़ी में बनाने का एलान हुआ था, लेकिन इस बीच चयनित भूमि को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी, बाद में इस जमीन को तकनीकी आधार पर अनुपयोगी करार दे दिया गया और जिसके बाद से अभी तक यह तय नही हो पाया है कि स्थायी कैंपस कहां बनेगा। इस पूरे मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि नई भूमि तलाश कर डीपीआर तैयार की जा चुकी है और जल्द ही नये भवन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।


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