प्रदेश की सियासत में हर दिन हिलटॉप विवाद गहराता जा रहा है, जहाँ देवप्रयाग के नजीक की जा रही शराब के बॉटलिंग प्लांट को कुछ लोग के समर्थन दे रहे हैं तो कुछ लोग इसके विरोध में। इस मामले में सबसे ज्यादा लड़ाई अब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच ही देखने को मिली है। कुछ दिन पहले इस पर एक और पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी का बयान भी सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि पहाड़ में शराब बेचकर पैसा कमाना आत्महत्या के बराबर है। चाहे किसी भी दल की सरकार हो, उसको वहां ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। कोई भी सरकार हो, चाहे भाजपा की ही सरकार क्यों न हो, यदि वो ऐसा कोई काम करती है, तो वे इसका विरोध करते हैं।
अब इस कड़ी में उत्तराखंड के लोकगायक और प्रदेश के शान कहे जाने वाले नरेंद्र सिंह नेगी भी कूद पड़े हैं और उनका मत यहाँ पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी से कुछ अलग है। उनका कहना है कि वो शराब के बॉटलिंग प्लांट का समर्थन करते हैं और उसके पीछे उन्होंने अपने तर्क भी दिया है कि वो इसे रोजगार की दृष्टि से देख रहे हैं। क्यूंकि प्रदेश सरकार शराब के सेवन पर रोक तो नहीं लगा सकती है तो प्रदेश में ही बनी शराब पीने में क्या बुराई है। ये सारी बातें उन्होंने तब कही जब प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाटक सम्मान पर चयनित होने पर बधाई देने उनके घर गए थे।
इस दौरान जब वहां मीडिया उपस्थित था तो उनके साथ बात करते हुए नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि यह सही है या गलत। अगर प्रदेश के लोग शराब नहीं पीते तो यहाँ शराब से जुड़ा कुछ भी होना गलत है। पर ये बात सबको पता है कि उत्तराखंड में शराब की खपत बहुत ज्यादा है तो जब मांग ज्यादा है तो फैक्ट्री खोलने में दिक्कत क्या है। स्थानीय लोगों को उससे रोजगार मिलेगा, जिनके यहाँ माल्टा ज्यादा होता है उनको भी इसका फायदा होगा। जब प्रदेश के लोग धामपुर या अन्य जगहों की बनी शराब पी सकते हैं तो प्रदेश में ही बनी शराब पीने में आपत्ति क्या है। जब सरकार लोगों से शराब छुडवा नहीं सकती तो प्रदेश में बनी सस्ती शराब पीने में क्या दिक्कत है।