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उत्तराखंड में इंजीनियर पिता ने बिना स्कूल भेजे ही दिलाई बेटी को बोर्ड परीक्षा, जानिये अनोखी कहानी

नाम है नवीन पांगती जिन्होंने एनआईटी से बीटेक ओर आईआईटी मुम्बई से ग्राफिक डिजाइन की पढ़ाई की हुई है, और वो अपने परिवार के साथ गुडगाँव में ही रहते थे पर उनका मन हमेशा ही पहाड़ में लगा रहता था तो आज से लगभग 6 साल पहले वो सबकुछ छोड़छाड़ कर अपने परिवार के साथ देवभूमि उत्तराखंड आ गये और यहाँ रहने के लिए उन्होंने चुना हल्द्वानी के सल्ला गाँव को और गांव में रहते हुए उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग की पद्धति सीखी और उसी से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। नवीन पांगती की दो बेटियां हैं मृणाल पांगती जो 15 साल की हैं और कृतिका पांगती जो लगभग 13 साल की हैं।

अब यहाँ सबसे ख़ास बात यह है कि मृणाल पांगती ने इस बार बिना कभी स्कूल गये इस बार 10 वीं की बोर्ड परीक्षायें दी हैं और सारे पेपर उन्होंने ओपनबोर्ड से देहरादून में दिए हैं उनका आखिरी पेपर 27 मार्च को था। जब इस सारे माजरे पर मृणाल के पिता नवीन पांगती से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि हमने घर पर रहकर ही बुनियादी ज्ञान के दम पर और घर में ही पढ़ाकर ये सब किया है, बच्चों को स्कूल न भेजने के पीछे की वजह पर उन्होंने बताया कि आजकल स्कूल में पढ़ाई होती ही कहाँ है, स्कूल में टीचर पढ़ाते तो हैं नहीं, इसलिए आज के दौर में हर बच्चे ने ट्यूशन लगा रखा होता है।

इसके अलावा स्कूल जाकर सबसे बढ़ा नुकसान यह होता है कि बच्चों के पढ़ने-सीखने की प्रवृत्ति खत्म हो जाती है और टीचरों का भी पूरा फोकस परीक्षा और कोर्स पर ही होता है जिसके कारण वो बच्चों को ब्यवहारिक ज्ञान नहीं दे पाते हैं। इसलिए मै और मेरी पत्नी ने घर पर रहकर ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, गणित का संख्या ज्ञान देने के लिए घर के छोटे-मोटे काम कराए, बाजार से कुछ भी सामान लेना होता था तो हम हमेशा बच्चों को ही भेजते थे जिससे उन्होंने सांख्यिकी और गणितीय ज्ञान हो सके। और इस तरह से तैयारी करके हमने अपने बच्चों को इस काबिल बनाया है कि वो बिना स्कूल गये ही परीक्षायें दे सकें।