अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए राजेंद्र सिंह तीन बहनो के इकलौते भाई और घर के इकलौते चिराग थे। शनिवार को जब शहीद का शव उनके पैतृक आवास पर पहुंचा तब चारो तरफ चीख पुकार ही सुनाई दी। शहीद की माँ और बहनें बेसुध हो गयी थी। हर कोई फुट फुट कर रो रहा था और रोये भी क्यों नहीं किसी के घर का इकलौत चिराग जो बुझ गया था, तो किसी बहनों का इकलौता भाई उन्हें हमेशा के लिए अकेला छोड़ कर इस दुनिया से चला गया था। गाँव के चारो तरफ जहाँ भी नजर जाती हर तरफ हर आँखों मे शहीद के प्रति सवेदना थी और परिवार के लिए दर्द।
शहीद राजेंद्र का पार्थिव शरीर शनिवार दोपहर को सबसे पहले पहले पिथौरागढ़ लाया गया। जहाँ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और सेना के जवानों ने उन्हें सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शहीद राजेंद्र के पार्थिव शरीर उनके पैतृक आवास पिथौगराढ़ जिले के गंगोलीहाट के बडेना गाँव ले जाया गया। जहाँ शहीद के परिजन और गाँव के लोग पार्थिव शरीर से लिपट कर रो पड़े। उसके बाद रामेश्वर घाट में शहीद का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के चाचा भूपाल सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी।
बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान राजेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उपचार के दौरान शुक्रवार को उनकी मौत हो गयी। शहीद राजेंद्र सिंह को इस दीपावाली पर छुट्टी लेकर घर पहुंचना था, लेकिन शहीद के घर आने से पहले ही उसकी शहादत की खबर ने परिजनों, दोस्तों एवं गाँववासियों को स्तब्ध कर दिया।