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कुछ लोग अपने सपने पूरे करते हैं और कुछ अपने माँ-बाप के, देवभूमि की दो बेटियों की ऐसी ही कहानी

इस दुनियां में इंसान उस सपने की तरफ भागता है जो वो बचपन से देखता आ रहा है, कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद जब उसे वो मुकाम मिल जाता है जिसके लिए वो बचपन से प्रयत्नशील था तो वो अपने जीवन को सफल मान लेता है, पर इसी दुनियां में कुछ विरले ऐसे भी ही होते हैं जो देखते तो वही   सपना हैं जो वो बनना चाहते हैं पर अपने माँ बाप के लिए अपना सपना छोड़कर,  वो बनने की राह पर निकल पढ़ते हैं जिसका सपना उनके माँ-बाप देखते हैं। यही कहानी हम बहुत सारी बॉलीवुड फिल्मों में भी देख चुके हैं जहाँ आमिर खान की थ्री इडियट्स इस बात पर बनी थी कि इंसान को हमेशा अपने सपने के पीछे ही भागना चाहिए तो वहीं दूसरी और आमिर खान की ही दंगल हमें ये प्रेरणा देती है कि माँ बाप हमें जो बनने का सपना देखें उसे पूरा करो।

हम आज यहाँ आपको ऐसी ही दो कहानियों से रूबरू करा रहे हैं, यहाँ बात हो रही है कल यानी बुधवार 28 फरवरी को आये उत्तराखंड लोग सेवा आयोग के न्यायिक सेवा सिविल जज जूनियर डिवीज़न 2016 यानी पीसीएस जे  के रिजल्ट्स पर। यहाँ हम उत्तराखंड की दो होनहार बेटियों पूनम टोडी और करिश्मा डंगवाल के बारे में आपको बता रहे हैं, दोनों बेटियों की कहानी ऐसी है कि सुनकर आपको भी इनपर गर्व होगा, जहाँ देहरादून की रहने वाली पूनम टोडी ने इस परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया है तो वही दूसरी और रामनगर नैनीताल की रहने वाली करिश्मा डंगवाल ने इसमें प्रदेश भर में 6वाँ स्थान पाया है।

बात करैं देहरादून निवासी पूनम टोडी की तो इस बेटी के पिता देहरादून में ऑटो चलाते हैं और मुश्किल से दिन भर में 300-400 जो भी मिलता होगा उसी से ही परिवार का भरण पोषण करते आये हैं। पूनम के परिवार में उनके अलावा 2 भाई और एक बहन और भी थीं पर पिता अशोक कुमार ने कभी भी अपनी बेटी और बेटों में कोई फर्क नहीं किया जितना पैंसा उन्होंने अपने बेटों की शिक्षा में लगाया उतना ही बेटियों की भी, पिता ने अपने बाकी खर्चों में कटोती करके पूनम को कोचिंग के लिए दिल्ली भेजा, और वहां जमकर मेहनत करने के बाद अब तीसरी बार पूनम को इसमें सफलता मिली और उसने उत्तराखंड में पहला स्थान प्राप्त किया है। पूनम का बचपन से ही सपना था जज बनने का पिछले 2 प्रयासों में असफल होने के बावजूद उसने हार नहीं मानी और अब तीसरे प्रयास में अपने सपने को यहाँ पूरा कर दिया है, पूनम अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता अपने परिवार को देती हैं जहाँ सीमित संसाधन होने के बावजूद वो ये मुकाम हासिल कर पायी।

वहीँ अगर बात की जाए प्रदेश में 6वाँ स्थान पाने वाली रामनगर निवासी करिश्मा डंगवाल की तो उनका खुद का सपना था फैशन डिजाइनर बनकर दुनियां में नाम कमाने की, पर करिश्मा के माता पिता चाहते थे कि उनके बेटी जज बनकर देशसेवा करे। तो अपने माँ-बाप के सपने को पूरा करने के लिए करिश्मा ने अपना खुद का सपना भुला दिया और देहरादून के उत्तराँचल विश्वविधायल से बीए एलएलबी की पदाई 2015 में पूरी की| इसके बाद उन्होंने पीसीजे की तैयारी शुरू कर दी और दिन में 14 घंटो की पढाई करने के बाद और लगभग ढाई साल की तैयारी करने के बाद उसे ये मुकाम हासिल हुआ है। अपने माँ-बाप के सपने को पूरा करके करिश्मा बहुत ही ज्यादा खुश हैं और उनसे भी ज्यादा खुश हैं उनके माता-पिता जिनको अपनी बेटी पर गर्व है। करिश्मा के पिता राकेश सिंह का जहाँ प्रोपर्टी का कारोबार है तो वहीँ उनकी मां चंपा डंगवाल गृहणी हैं।