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उत्तराखंड : 27 वर्षीय शहीद हमीर पोखरियाल की सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई, लगे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे

हे भगवान तूने क्या दिन दिखाया। कोई मेरे लाल को जगाओ, वह सो रहा है, अभी मुस्करा उठेगा…., जिस बेटे के चेहरे पर हमेशा मैंने मुस्कान ही देखी आज मैं उसे इस चेतन शून्य स्थिति में कैसे देखूं। हमीर तू हमें छोड़कर क्यों चला गया, अब पूजा का क्या होगा…, अन्वी की ख्वाहिशों को कौन पूरा करेगा… यह कहते-कहते शहीद हमीर पोखरियाल की मां राजकुमारी बेसुध हो गई। सैनिक पिता किसी तरह कलेजे पर पत्थर रखकर ताबूत में तिरंगे से लिपटे बेटे के पास पहुंचे, मगर इसके बाद उनके भी हाथ कांपने लगे। पत्नी का फिर वही सवाल कि दुश्मन को कब मुंहतोड़ जबाव दोगे… पति का चेहरा देखकर वह भी मूर्छित होकर गिर पड़ीं। आसपास खड़े हजारों लोगों की आंख नम थी। मगर, शहादत को सलाम करते हुए एक बार फिर शहीद हमीर अमर रहे के नारों से आसमान गूंज उठा।

मंगलवार को जम्मू कश्मीर के गुरेज (बांडीपोर) सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ में गुमानीवाला के भट्टोंवाला मार्ग स्थित कुंजापुरी कॉलोनी निवासी 27 वर्षीय हमीर पोखरियाल अपने एक मेजर व तीन अन्य साथियों के साथ शहीद हो गए थे। बुधवार को सायं करीब साढ़े छह बजे शहीद हमीर पोखरियाल का पार्थिव शरीर उनके गुमानीवाला कुंजापुरी कॉलोनी स्थित निवास पर पहुंचा था। इससे पूर्व मुख्य मार्ग से शहीद के घर तक सेना के जवान व बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शहीद के पार्थिव शरीर को कंधों पर रखकर ले गए। वहीं शहीद को आज अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान जनसैलाब उमड़ा. लोग मन में गुस्सा लिए औऱ आंखों में हमीर के लिए आंसू लिए सड़कों पर रैली के साथ चले. साथ ही पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए. पूरी तीर्थनगरी हमीर तेरा ये बलिदान याद करेगा हिंदूस्तान के नारे से गूंजी.

शहीद का पार्थिव शरीर लेकर उनके घर पहुंचे सेना के मेजर राहुल मिश्रा ने पिता जयेंद्र पोखरियाल को ढांढस बंधाते हुए उन्हें ऑपरेशन की जानकारी दी। शहीद हमीर के छोटे भाई सुनील पोखरियाल का भी रो-रोकर बुरा हाल था। मां राजकुमारी व पत्नी पूजा की आंखों से तो आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। शहीद हमीर के परिजनों का कहना है कि बेहद कुशल स्वभाव का था मिलनसार था.

शहीद हमीर पोखरियाल का आज मुनिकीरेती के पूर्णानंद घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह शहीद की अंतिम यात्रा प्रात: नौ बजे घर से मुख्य मार्ग तक निकली। इसके बाद सेना के वाहन से अमित ग्राम, मनसा देवी फाटक होते हुए आइडीपीएल सिटी गेट, काले की ढाल, ऋषिकेश होते हुए मुनिकीरेती पूर्णानंद घाट पहुंचे। जहां सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी जाएगी


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