बात है बीते 18 दिसंबर को अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया स्थित दड़माड़ गांव में घास काटने गई हीरा देवी की जो उस दौरान गुलदार का शिकार हो गर्इ थी। इस मामले को हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि हिंसक हो उठे गुलदार ने बीती 23 दिसंबर की शाम बमनगांव की मल्ली बाखली में गोविंदी देवी का भी शिकार कर दिया था। इसके बाद वन विभाग ने गुलदार को आदमखोर घोषित कर दिया था और फिर पौड़ी जनपद से शार्प शूटर लखपत सिंह रावत को बुलवाया। उसके बाद बीते रोज से लखपत सिंह ने गांव में डेरा जमा लिया था। इसके साथ ही उनकी मदाद के लिए छह स्थानीय शिकारी भी मुस्तैद किए गए थे।
मंगलवार यानी 25 दिसम्बर को शाम की 6 बजे के पास आदमखोर गुलदार की गांव के आसपास गतिविधियां भापने के बाद शूटर लखपत ने मोर्चा संभाला लिया था। लखपत सिंह रावत ने गांव के दूसरे छोर पर गश्त करने की योजना बनाई थी क्यूंकि उनका पूरा फोकस गश्त पर ही था और उन्होंने मचान नही बनाया था। एक अन्य शिकारी ने कुत्ते को भी साथ लेकर गश्त की और अन्य शिकारी मंगलवार से पूरी तरह से मोर्चा संभालने की तैयारी में थे। फिर करीब आधा घंटे तक नरभक्षी गुलदार व शूटर लखपत सिंह के बीच पैंतरेबाजी चली और आखिर में लखपत ने उसे निशाने पर लेकर ढेर कर दिया।
माना जा रहा है कि यह वही तेंदुआ है जिसने एक हफ्ते में इस क्षेत्र में दो शिकार किए। लखपत ने इस पर कहा कि खराब स्वास्थ्य के कारण यह तेंदुआ आदमखोर बना। उनका कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही यह पुख्ता हो पाएगा कि इस तेंदुए के आदमखोर बनने के पीछे क्या कारण थे। लखपत अभी तक पूरे 53 तेंदुओं का शिकार कर चुके हैं और इस साल यह उनका चौथा शिकार है। लखपत की कहानी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पहाड़ में वन्य जीवों की समस्या किस कदर बढ़ती जा रही है। बहरहाल नरभक्षी ढेर किए जाने के बावजूद क्षेत्र में दहशत बनी हुई है क्यूंकि दोनों महिलाओं को मारने वाला गुलदार यही है या अलग अलग इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पायी है।