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वाइन शॉप पर 2-2 किमी लम्बी लाइनें, क्या शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय सही है?

कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन के निर्णय के बाद से देशभर के साथ ही उत्तराखंड में भी शराब की दुकानें बंद थीं, लेकिन अब लॉकडाउन 3.0 में कई रियायतें दी गयी हैं। और उसी में एक बड़ा निर्णय था पिछले 40 दिन से बंद रही शराब की दुकानों को खोलने का और अब सुबह दुकानों के खुलने के बाद से ही बाहर लंबी-लंबी लाइन लगी दिख रही हैं। प्रदेश सरकार ने ये निर्णय लिया है कि प्रदेशभर के हॉटस्पॉट को छोड़कर अन्य सभी जगहों पर शराब की दुकानें खोली जायेंगी। यानी चाहे आप रेड जोन में हों या ऑरेंज जोन में या फिर ग्रीन जोन में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता सिर्फ पाबंद क्षेत्रों को छोड़कर अन्य जगह शराब और बीयर की दुकानें खोली जायेंगी।

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यह बात किसी से छिपी नहीं है कि शराब से देश के साथ ही राज्य सरकारों को एक बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है और पिछले 40 दिनों से इसके बंद रहने के कारण सरकारों को राजस्व का एक बड़ा नुकसान हुआ है। लेकिन कोरोना संकट के बीच मजधार में खड़े होने के समय क्या यह जरुरी हो गया था कि इस तरह का निर्णय लिया जाए? और वह भी तब जब शराब की दुकानों के बाहर उत्तराखंड में 2-2 किलोमीटर लम्बी लाइन लगी हुई हैं। एक तरफ सरकार ने उन सभी जगहों को बंद रखने का निर्णय लिया था जहाँ अधिक भीड़ या कम सोशल डिस्टेंसिंग देखने को मिलती है जैसे नाई की दुकान, स्पा, शोपिंग कॉम्प्लेक्स, स्कूल, विश्वविद्यालय आदि।

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अब शराब की दुकानों के बाहर लगी हुई इतनी लम्बी लाइनें और बिना उचित सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए हुए लोगों से कोरोना संक्रमण का कितना खतरा होने वाला है इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। धक्का-मुक्की के करते हुए लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं। लेकिन इस ढील से पुलिस के साथ ही प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।


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