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क्या भारत टेस्ट क्रिकेट को खत्म करना चाहता है! इतनी ख़राब पिचें बनाकर आखिर क्या हासिल होगा हमें

इंदौर के होलकर स्टेडियम की पिच पर शुरू से ही गेंद ने टर्न लेना शुरू कर दिया जिसने भारत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही बॉर्डर गावस्कर ट्राफी मैचों में कम तैयार पिचें बनाने की बहस को फिर शुरू कर दिया। आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) मैच रैफरी क्रिस ब्रॉड का पिच की खराब प्रकृति पर संज्ञान लेना निश्चित है और नागपुर व दिल्ली की पिच को ‘औसत’ रेटिंग दिए जाने के बाद मौजूदा टेस्ट मैच को ‘औसत से कमतर’ की रेटिंग मिल सकती है।

भारतीय टीम एक से जरा ज्यादा सत्र ही खेल पायी और 109 रन पर सिमट गयी जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम ने 156 रन तक चार विकेट गंवा दिये थे जिससे दिन में 14 विकेट गिरे। अब दूसरे दिन के पहले सत्र में ही ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम भी वापस लौट चुकी है. सभी टीमें घरेलू धरती पर अपनी पसंदीदा हालात चाहती हैं लेकिन घरेलू मैदान का फायदा किस हद तक उठाया जाना चाहिए? एक और टेस्ट तीन दिन के अंदर खत्म होने के लिये तैयार है। क्या यह खेल के लिये अच्छा है?

इस तरह के पिच तो धीरे-धीरे भारत में टेस्ट मैच के अस्तित्व को ही ख़त्म कर देंगी. ऑस्ट्रेलिया के महान क्रिकेटर मैथ्यू हेडन ने इंदौर की पिच की आलोचना करते हुए कहा, ‘किसी भी तरह से छठे ही ओवर से स्पिनरों को गेंदबाजी के लिये नहीं आना चाहिए। इसलिये ही मैं इस तरह की पिचों को पंसद नहीं करता। पहले दिन से पिच इतनी नीची और टर्न लेने वाली नहीं होनी चाहिए। यह मायने नहीं रखता कि ऑस्ट्रेलिया यह टेस्ट जीते या फिर भारत। इस तरह की पिचें टेस्ट क्रिकेट के लिये अच्छी नहीं हैं।’

दिलीप वेंगसरकर ने हाल ही में इंदौर पिच की हालात को देखकर नाराजगी जताई है।वेंगसरकर ने कहा कि बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों को समान अवसर देने के लिए पिच में बराबर उछाल होनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो यह ‘टेस्ट क्रिकेट का मजाक’ बन जाता है। उन्होंने साथ ही आगे कहा, ‘अगर आप अच्छा क्रिकेट देखना चाहते हैं तो पिच से सारा फर्क पड़ता है। आपके पास समान उछाल वाले विकेट होने चाहिए ताकि बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों को समान अवसर मिलें, लेकिन गेंद पहले दिन और पहले सत्र से ही टर्न लेती है और वह भी असमान उछाल के साथ, यह टेस्ट क्रिकेट का मजाक बनाता है”.

यह जरूरी है कि टेस्ट मैचों में आप भीड़ को फिर से वापस लाए। ऐसा इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से भारत में ये नहीं हो रहा है। लोग टेस्ट देखने तभी आएंगे जब ये दिलचस्प हो। कोई नहीं देखना चाहेगा कि गेंदबाज बार-बार बल्लेबाजों पर पूरी तरह से हावी हो जाएं, वो भी पहले ही सेशन में।”

 

 

 


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