उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) ने एक साल के अन्दर ही दूसरी बार बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पिछले साल 27 अगस्त को इसी संस्थान में जैट्रोफा से तैयार बायोजेट फ्यूल से विमान ने देहरादून से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। और अब मंगलवार को आइआइपी में प्लास्टिक कचरे से डीजल तैयार करने के प्रायोगिक संयंत्र का उद्घाटन किया गया है इस विशेष पल का गवाह बनने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे।
प्लास्टिक से डीजल बनाने का संयंत्र स्थापित करने में लगभग 13 करोड़ की लागत आई है। फिलहाल संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन एक टन प्लास्टिक को शोधित करने की है। एक टन प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल तैयार किया जा रहा है। संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रति लीटर उत्पादन लागत 80 रुपये आ रही है लेकिन यदि ज्यादा क्षमता का संयंत्र लगाया जाता है तो उत्पादन लागत लगभग 50 के आसपास आ जायेगी। तकनीक संयंत्र को स्थापित करने में गैस अथारिटी ऑफ इंडिया (गेल) ने कुल लागत का 80 फीसदी खर्च वहन करने के साथ ही निर्माण में तकनीक प्रदान की है, जबकि 20 फीसदी बजट सीएसआईआर ने वहन किया है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एक टन की क्षमता वाले इस संयंत्र से 1000 कुंतल प्लास्टिक कचरे से 850 लीटर डीजल तैयार होगा। छह माह के भीतर इसकी क्षमता 10 टन बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक वेस्ट को वेल्थ में बदलने वाले इस प्रयोग को बड़े स्तर पर दिल्ली में भी धरातल पर उतारा जाएगा। उन्होंने संयत्र के निरीक्षण के दौरान डीजल तैयार होने की प्रक्रिया को देखा और इसके बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि प्लास्टिक कचरे से मुक्ति की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। इस संयत्र से वेस्ट मैटीरियल का डीजल के रूप में सदुपयोग हो सकेगा।