लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है और एक बार फिर उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इस शानदार जीत के तीन मुख्य मजबूत आधार माने जा रहे हैं जो हैं प्रधानमंत्री मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व, राष्ट्रवाद की प्रचंड लहर और केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियां व कार्यक्रम। इन तीन प्रमुख आधार पर भाजपा के सांगठनिक कार्यकर्ताओं की टीम ने शानदार जीत की इमारत खड़ी की। यह पहला ऐसा चुनाव है जब लगता है कि सांसदों ने प्रधानमंत्री को नहीं चुना है बल्कि प्रधानमंत्री ने सांसदों को चुना है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के हर प्रत्याशी ने पीएम मोदी के चेहरे पर वोट मांगें। पार्टी का पूरा चुनाव अभियान मोदी पर केंद्रित रहा। भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभाएं करने उत्तराखंड आए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रहे हों या गृह मंत्री राजनाथ सिंह या फिर अन्य स्टार प्रचारक, सबकी जुबान पर एक ही नाम था, नरेंद्र मोदी। ऑलवेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना, भारत माला प्रोजेक्ट, पीएम मोदी की प्राथमिकता वाली फ्लैगशिप योजनाएं, त्रिवेंद्र सरकार की अटल आयुष्मान योजना और निवेशक सम्मेलन में हुए 1.24 लाख करोड़ के एमओयू को प्रत्याशियों और स्टार प्रचारकों ने जमकर भुनाया।
राज्य में लोकसभा चुनाव से जुड़े इस बार कई मिथक भी टूट गए हैं जिसमें सबसे पहला ये कि प्रदेश का सत्ताधारी दल कभी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया है और 2004, 2009 व 2014 के लोकसभा चुनावों में यह मिथक मजबूत हुआ। दूसरा मिथक यह कि हरिद्वार लोकसभा सीट से जुड़ा है यहां राज्य बनने के बाद लगातार दो बार कोई भी सांसद नहीं बन पाया। वर्ष 2004 के बाद से यह मिथक कायम था। लेकिन, इस बार डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर इस मिथक को गलत साबित किया। टिहरी लोकसभा सीट से जुड़ा मिथक था कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दौरान यदि लोकसभा चुनाव होता है तो टिहरी राजपरिवार को हार झेलनी पड़ती है। वर्ष 1971 के आमचुनाव और वर्ष 2007 के उपचुनाव के दौरान बदरीनाथ के कपाट बंद थे।