आज तड़के सुबह 4:30 पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट आज खोल दिए गए हैं। इस दौरान पूरे मंदिर को शानदार फूलों से सजाया गया है। कपाट खोलने के दौरान वहां पर सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए मुख्य पुजारी रावल के साथ ही सिर्फ 27 लोग ही मौजूद थे। इतिहास में यह पहला मौका है जब बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के समय इतनी कम संख्या में लोग मौजूद रहे। पुजारी रावल के अलावा धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी, सीमित संख्या में ही हक हकूकधारी और देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे।
बीते दिन बृहस्पतिवार को योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से कुबेर जी, उद्धव जी, गरुड़ जी, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा के साथ बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी बदरीनाथ धाम पहुंच गए थे। इस दौरान योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में कुबेर जी, उद्धव जी और गरुड़ जी की विशेष पूजाएं हुईं। हक-हकूकधारियों ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए भगवान को पुष्प अर्पित किए। भक्तों ने भगवान बदरीनाथ से कोरोना संकट से निजात दिलाने की कामना की।
यह भी पढ़िये: खुशखबरी: कल राजस्थान में फंसे 1488 उत्तराखंडी प्रवासियों को ट्रेन से लाया जायेगा घर
बदरीनाथ धाम को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को सजाया गया। सबसे पहले बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के द्वार वेद मंत्रों की ध्वनि के साथ खोले गए। द्वार के ताले की चाबी देवस्थानम बोर्ड के द्वारा खोली गई। इसके बाद मंदिर के गर्भ गृह के द्वार के खोले गए। भगवान के गर्भ गृह के द्वार खुलते ही सबसे पहले बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने गर्भ गृह में प्रवेश किया। शीतकाल में जिस ऊनी घृत कम्बल को भगवान ओढ़ाया गया था उसे रावल जी ने श्रद्धा पूर्वक निकाला। इसके बाद रावल ने पवित्र जलों से भगवान का स्नान करवाया और भव्य अभिषेक किया।
यह भी पढ़िये: उत्तराखंड पुलिस के लिये बुरी खबर, जलई सुरसाल के रहने वाले पुलिस जवान की मौत