उत्तराखंड की बेटियां इन दिनों हर फील्ड में यहाँ के लड़कों से भी आगे निकलती जा रही हैं। बात करैं अभी हाल ही में घोषित हुए उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षा परिणामों की तो यहाँ भी लड़कियों ने ही बाजी मारी थी। इसी कड़ी में आज हम यहाँ बात कर रहे हैं पहाड़ की बेटी अंजलि शाह की। इन दिनों देवभूमि की ये बेटी महिला सशक्तिकरण के लिए पूरे देशभर में एक मिसाल बनी हुई है। इसके पीछे जो कारण है वो ये कि अंजलि 4000 हॉर्स पावर का इंजन, 19 डिब्बे और हजारों यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने की अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं। अंजलि शाह रोजाना हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच एक्सप्रेस ट्रेनों को मंजिल पर पहुंचा रही हैं।
अंजलि शाह मूल रूप से पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लॉक की रहने वाली हैं, उनकी प्रारंभिक शिक्षा जीजीआईसी ऋषिकेश से हुई है। इसके बाद राजकीय पॉलिटेक्निक नरेंद्रनगर से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने रेलवे की परीक्षा देकर लोको पायलट की परीक्षा पास की थी। इससे पहले चयन के बाद दिल्ली में छह महीने का ट्रेन संचालन का प्रशिक्षण भी ले चुकी हैं। अंजलि बताती हैं कि लोग उन्हें ट्रेन चलाते देख काफी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। कुछ लोग उन्हें इस नौकरी में होने वाली मुश्किलों को देखते हुए, नौकरी छोड़ने की भी सलाह देते हैं।
इन सब बातों से अंजान वो जब ट्रेन पर मान्य अधिकतम पचास किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाती हैं तो उन्हें इन आलोचना से बहुत आगे बढ़ जाने पर गर्व महसूस होता है। 26 साल की अंजलि शाह सोमवार से हरिद्वार- ऋषिकेश के बीच ट्रेन संचालन में जुटी हुई हैं। इस दौरान केबिन में उसके साथ मुख्य लोको पायलट भी होते हैं। जिनके निर्देशन में अंजलि ट्रेन चलाने के गुर सीख रही हैं।