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कारगिल विजय: अमेरिका ने डील के बावजूद बम नहीं दिए, इजरायल से मिली मदद और ऐसे लहराया हमारा तिरंगा

कारगिल विजय दिवस भारतीय सैनिकों के लिए गौरव का दिन। पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने को याद करने का दिन। इस जीत को 24 साल पूरे हो रहे हैं। 1999 में पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर कश्मीर में कई चोटियों कब्जा कर लिया था। 3 मई को चरवाहों के जरिये भारत को पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी मिली थी। आखिरकार 10 मई को पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुआत हुई। भारतीय सेना ने कारगिल की पहाड़ियों पर चढ़ाई शुरू की। दुश्मन हजारों फीट ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे थे। ऐसे में भारतीय सेना के लिए चुनौती काफी कठिन थी। करीब 60 दिन तक चले इस युद्ध में भारतीय जाबांजों की बहादुरी से भारत ने इस युद्ध में जीत दर्ज की। युद्ध में करीब 500 सैनिक शहीद हुए। 1300 से अधिक सैनिक जख्मी हुए थे। 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध समाप्त हुआ।

17 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मन डेरा जमाए बैठे थे। इंडियन आर्मी ऊपर चढ़ने की कोशिश करती तो दुश्मन आसानी से निशाना लगा लेते थे। अमेरिका ने भारत को GPS को-ऑर्डिनेट्स और बम देने से मना कर दिया। ऐसे में इंडियन एयरफोर्स ने एक मिशन प्लान किया- ऑपरेशन सफेद सागर। फ्रांस से खरीदे मिराज 2000 एयरक्राफ्ट पर इजराइल में मंगवाए टार्गेटिंग पॉड्स इजरायली इंजीनियरों के द्वारा लगाए गए। इनमें 1 हजार पाउंड के देसी बम लगाकर टाइगर हिल पर निशाना साधा गया। इस जुगाड़ ने घुसपैठियों के बंकरों को तहस-नहस कर दिया।

कारगिल युद्ध के हीरे कैप्टन विक्रम बत्रा का प्वाइंट 5140 की जीत की अहम योगदान था। 20 जून को कैप्टन बत्रा ने ही इस प्वाइंट को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराया था। कैप्टन विक्रम बत्रा ने इसी चोटी से ‘ये दिल मांगे मोर’ का उद्घोष किया था। इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा प्वाइंट 4875 को फतह करने के लिए बढ़ गए। उन्होंने यहां 5 पाकिस्तानी जवानों को मार गिराया। इस बीच उनके एक जवान को गोली लग गई। इसके बाद वे अपने जवान को उठाने के लिए आगे बढ़े। जैसे ही उन्होंने जवान को सिर की तरफ से उठाया उन्हें दुश्मन की गोली लग गई। इस जंग में शहादत के लिए उन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

भारतीय सेना ने 11 घंटे की लड़ाई के बाद सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर कब्जा किया था। टाइगर हिल पर कब्जा करने में सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव का अहम योगदान था। दुश्मनों से लड़ते हुए उन्हें 15 गोलियां लगी थीं। घायल होने के बावजूद उन्होंने पाकिस्तानी सेना की तरफ ग्रेनेड फेंका। इससे पाकिस्तानी सेना डर गई। उन्हें लगा कि भारतीय सेना के बैकअप के लिए कई सैनिक पहुंच चुके हैं। टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए 18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट निकली थी। टाइगर हिल फतेह करने के लिए लेफ्टिनेंट बलवंत सिंह को भी महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।


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