देश और दुनियां में कोरोना संक्रमण विकराल रूप लेता जा रहा है, हर कोई इसे डरा सहमा अपने घरों में ही कैद होकर रह गया है। प्रधानमंत्री मोदी के देश के नाम संबोधन के बाद भारत में भी 3 मई तक लॉकडाउन चल रहा है। अब तक विशेषज्ञों की यह राय थी कि अगर किसी कोरोना संदिग्ध व्यक्ति में 14 दिन तक भी कोरोना संक्रमण नहीं पाया जाता है तो इसका मतलब यह है कि उसमें संक्रमण नहीं हुआ है। लेकिन अब एक नए मामले ने विशेषज्ञों की इस राय को गलत साबित कर दिया है।
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दरसल बात है उत्तराखंड में 18 मई को हरिद्वार जिले की जहाँ कोरोना संक्रमण का एक नया मामला सामने आया है। ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट में मजदूरी करने वाले हाथरस का एक श्रमिक लगभग 17 दिन बाद कोरोना संक्रमित पाया गया। ऋषिकेश से पैदल हाथरस लौटते समय उसे और उसके अन्य पांच साथियों को रुड़की में रोक दिया गया था। यह व्यक्ति 30 मार्च को ही रुड़की के एक रिलीफ कैंप में रह रहा था। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से जारी दिशा निर्देशों के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा से लौटे व्यक्ति या संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले को कम से कम 14 दिन क्वारंटीन में रखने की व्यवस्था है।
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लेकिन उत्तराखंड में यह 17 दिन बाद मिला है और भारत में भी कई जगह संक्रमण के मामले 16 से 20 दिनों में पाये जा रहे हैं। 16 अप्रैल को हाथरस के श्रमिक को खांसी जुकाम की शिकायत आने लगी थी जिसके बाद उसे आइसोलेट किया गया। और कल सैंपल जांच में कोरोना की पुष्टि हुई है। जबकि उसके अन्य साथियों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार डॉ. सरोज नैथानी का कहना है कि 14 दिन के बाद और बिना लक्षण के भी कोरोना पॉजिटिव मामले आ रहे हैं। यदि जल्दबाजी में जांच कर छोड़ देते हैं तो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है।