रुद्रप्रयाग जिले के कांडा-सिमतोली गाँव के रहने वाले हैं सुभाष चंद्र थपलियाल और उनकी पत्नी आशा देवी जिनकी शादी लगभग 9 साल पहले हुई थी, आशा देवी का मायका बष्टी गाँव में है जो रुद्रप्रयाग गाँव का एक प्रसिद्ध गाँव भी है। सुभाष चंद्र थपलियाल जसोली बाजार में ही अपनी एक दुकान चलाते हैं, इनकी सात साल की एक बेटी अपनी माँ आशा देवी के साथ पुनाड़ में रहती थी ताकि बेटी की पढाई अच्छे से की जा सके। मंगलवार की सुबह आशा देवी को प्रसव पीड़ा हुई जिसके बाद परिवार वाले उन्हें लेकर रुदप्रयाग जिला अस्पताल पहुँच गये थे, उसके बाद महिला को वहां भर्ती किया गया और फिर डॉक्टरों ने 11 बजे तक प्रसव होने की बाद कही।
इसके बाद अस्पातल के पैरा मेडिकल टीम ने प्रसव का पहले 2 बजे, फिर 5 बजे, फिर 7 बजे, 9 बजे और अंत में रात के 11 बजे बताया लेकिन इस बीच रात को लगभग 11.30 बजे अस्पातल की टीम ने बताया कि आशा देवी की तबियत बिगड़ गयी है उनका रक्तस्राव रुक नहीं रहा है उसे हायर सेंटर बस हॉस्पिटल श्रीनगर ले जाओ और फिर रात के 1 बजे महिला को लेकर उनके परिजन श्रीनगर पहुंचे जहाँ महिला को ऑक्सीजन मास लगाया गया लेकिन उसके 10 मिनट बाद ही महिला की मौत हो गयी। इसके बाद वहां मौजूद लोगों में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया आशा देवी के देवर मनोज थपलियाल ने बताया कि रुद्रप्रयाग अस्पताल में ही प्रसव होना शुरू हो गया था, बच्चे का सिर बाहर आने लग गया था बावजूद इसके उन्हें रेफर किया गया और अब इस सब पर रुदप्रयाग जिला अस्पताल का कहना है कि गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई थी, इसलिए महिला को आगे के लिए रेफर किया गया था।
इस पूरी घटना के बाद परिजनों ने महिला के इलाज में घोर लापरवाही बरतने का आरोप रुदप्रयाग जिला अस्पताल पर लगाया है और अस्पताल परिसर में हंगामा काटा और कहा कि सुबह 9 बजे भर्ती महिला की रात 11 बजे तक क्यूँ ठीक से सुध नहीं ली गयी, अगर स्थिति वाकई में गंभीर थी तो परिवार को पहले क्यों जानकारी नहीं दी गई उसके बाद अंतिम समय में रेफर कर डाक्टर व प्रबंधन ने अपना पल्ला झाड़ने का काम किया है। मृतका आशा देवी के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र सौंपकर महिला के इलाज में लापरवाही करने वाले डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। इन सब पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है।