इस बात से अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है कि किसी राज्य की पुलिस दुष्कर्म से पीड़ित मासूम बच्ची को और दुष्कर्म के आरोपी को एक ही वाहन में एक जगह से दूसरी जगह ले जा रही हो। उस मासूम के मन मस्तिक को ये बात कितनी झकझोर करके रख देती होगी कि उसका गुनहगार उसके सामने ही बैठा हुआ हो| पहले से ही डर से सहमी मासूम इस वाक्ये से और भी ज्यादा गुमशुम हो गयी होगी। उत्तराखंड में ये खबर फैलने के बाद से सभी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। नैनबाग दुष्कर्म प्रकरण को लेकर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य पहले से ही बेहद व्यथित हैं।
अब पुलिस के द्वारा अपनाये गए इस रुख के बाद पुलिस की भूमिका को लेकर उनके मन में नाराजगी बैठ गयी है। उनका कहना है कि जब वे पीड़ित परिवार से मिलने नैनबाग पहुंचे तो ये देखकर दंग रह गए कि पीड़ित बच्ची और दुष्कर्म के आरोपी को एक ही वाहन में ले जाया गया। पूरे हालातों से दुखी आर्य का कहना है कि इस मामले में उन्हें ऐसे लगा कि मानों सारी मानव संवेदनाएं खत्म हो गईं हों।
समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि, ‘मैं किसी को दोष नहीं दे रहा, लेकिन मेरा सोचना है कि संवेदनाओं को तोड़ने और उसकी सीमाओं को लांघने का हक न तो किसी अधिकारी को है, न समाज को। जब वे नैनीताल से पीड़ित परिवार के पास पहुंचे तो वहां का दृश्य काफी तकलीफ देने वाला था। लोगों में भारी गुस्सा था और पीड़ित परिवार गुमसुम था। ऐसे हालातों में पुलिस की भूमिका बहुत संतोषजनक नहीं थी। उन्होंने डीजीपी से बात की कि लोगों को सीओ की तटस्थता पर संदेह है। इसलिए उन्हें बदला जाना चाहिए। बाद में डीजीपी ने उन्हें फोन पर सूचना दी कि सीओ बदल दिए गए हैं। आर्य ने कहा कि एक ही वाहन में पीड़ित बच्ची और दुष्कर्म के आरोपी लाया गया। बच्ची दहशत में थी।