अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन से इस वक्त पूरी दुनियाँ। इस वक्त बाहर के जितने भी नागरिक अफगानिस्तान में हैं सबका एक ही मकसद ही कि वो किसी भी तरह से जल्द से जल्द अपने देश वापस लौट सकें। भारत भी लगातार अपने लोगों को वहां से वापस लाने में लगा हुआ है। वापस घर लौटे लोग वहां का मंजर देख अभी भी खौफ में हैं। यह ऐसे लोग हैं जो अपना सब-कुछ वहीं छोड़कर केवल जो कपड़े पहने थे, उन्हीं में घर लौट आए। उनका कहना है कि उस समय उनके मन में केवल जान बचाने की चिंता थी। क्योंकि, वहां हालात बहुत गंभीर हो चुके हैं।
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अफगानिस्तान में इस वक्त उत्तराखंड के साथ ही देहरादून के कई पूर्व सैनिक नौकरी करते हैं, जो दूतावासों और कंपनियों की सुरक्षा में तैनात थे। इसमें से देहरादून के गल्जवाड़ी के साथ ही केहरी गांव प्रेमनगर के एक महिला समेत चार लोग सुरक्षित लौट आए हैं। इन लोगों के दिलों और आंखों में वहां के हालातों का खौफ जाने का नाम नहीं ले रहा है। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो अपनी जान बचाने के लिए अपना सब कुछ यहां तक कि वीजा, कपड़े, पैसे और अन्य डॉक्यूमेंट वहीं छोड़कर आ गए। वह भगवान का शुक्र तो मना ही रहे हैं, साथ ही ब्रिटिश एंबेसी का भी आभार जता रहे हैं। जिन्होंने समय रहते उन्हें वहां से सुरक्षित भेज दिया।
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अब वह अभी भी वहां फंसे अपने साथियों को लेकर चिंतित हैं। वह उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। अजय कुमार, दीपक थापा, पूरन थापा व प्रेमकुमार ने बताया कि अभी भी गांव के पदम, श्याम ठाकुरी, संदीप थापा सहित अनारवाला, जोहड़ी, क्लेमेंटटाउन, ठाकुरपुर और गढ़ी के कई लोग वहां फंसे हुए हैं। वह एयरपोर्ट से महज दो-तीन किलोमीटर दूर होटल में हैं, लेकिन उन्हें निकलने का मौका ही नहीं मिल रहा है। बाहर गोलियां चल रही हैं। स्थानीय लोग उन्हें आने नहीं दे रहे हैं। उनके खाने-पीने का भी कोई इंतजाम नहीं हैं। भारत सरकार से उन्होंने मदद की गुहार लगाई है।