उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में मिली हार को आधार बनाकर कांग्रेस में किए गए हालिया बदलाव के बाद असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने हार के कारणों के लिए गुटबाजी और इसमें उनकी भूमिका को जिम्मेदार ठहराने के लिए राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल व प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को निशाने पर लिया। प्रीतम ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व को इसकी जांच करानी चाहिए। गुटबाजी के आरोप साबित हुए तो वह विधानसभा सदस्यता से तत्काल इस्तीफा दे देंगे।
अब इन सबके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस के कद्दावर नेता और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह के बीच हुई है। मुलाकात से ठीक पहले कांग्रेस आला कमान ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता और उपनेता प्रति पक्ष के नामों का एलान किया था। सीएम धामी और प्रीतम सिंह की मुलाकात के कई मायने तलाशे जा रहे हैं। राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोग कभी अपनों से तो कभी विरोधियों से मिलते ही रहते हैं। लेकिन कुछ मुलाकातों की टाइमिंग ऐसी होती है जिससे फिजा में तरह-तरह सवाल तैरने लगते हैं और उनके मायने तलाश किए जाने लगते हैं।
पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाने के फैसले से नाराज प्रीतम समर्थक आज दिन भी प्रीतम के यमुना कालोनी स्थित आवास पर डटे रहा। हालांकि इस दौरान प्रीतम के पास फरियादियों की कतार भी लगी रही। लोगों की शिकायतों पर प्रीतम भी लगातार अधिकारियों को फोन कर निर्देश देते रहे। अप्रत्याशित रूप से प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात करके कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया। हालांकि इस मुलाकात के बारे में प्रीतम और मुख्यमंत्री दोनों के करीबी लोगों का कहना है कि चर्चा राज्य के विकास और बेहतरी को लेकर हुई। लेकिन मुलाकात जिस हालात में हुई उसको लेकर सियासी पंडितों का मानना है कि पार्टी में अपनी रुसवाई से क्षुब्ध प्रीतम अपने और अपनों के लिए सियासी विकल्प तलाश रहे हैं।