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ओलम्पिक में हारने के बाद भी 11 कुमाऊं रेजीमेंट के सूबेदार मेजर को दुनिया कर रही है सलाम

बीते रविवार को सुपर हैवीवेट ग्रुप में 11 कुमाऊं रेजीमेंट के सूबेदार मेजर सतीश कुमार टोकियो ओलम्पिक में अपना मैच हार गये पर उन्होंने दुनिया का दिल जीत लिया।  अपने मैच के बाद उन्होंने कहा:
“मैच के बाद मेरा फोन लगातार बज रहा है. हर कोई मुझे बधाई दे रहा है जैसे मैं मैच जीता हूँ”

चेहरे पर लगे 13 टांकों का दर्द सूबेदार मेजर सतीश कुमार की आवाज में जरुर था पर कुमाऊं रेजीमेंट के इस ज़ाबज खिलाड़ी की कहानी हमेशा सबको प्रेरित करेगी।  टोकियो ओलम्पिक में सूबेदार मेजर सतीश कुमार अपना प्री क्वाटर खेलते हुये चोटिल हो गये थे।  जैमेका के रिकार्डो ब्राउन के साथ खेले इस मैच में सूबेदार मेजर सतीश कुमार जीते तो सही लेकिन उनकी ठुड्डी और आंख के नीचे चोट लग गयी थी।  आंख के नीचे लगा कट काफ़ी गहरा था। क्वाटर फाइनल में रिंग पर उतरते समय उनकी आंख के नीचे आठ टांके थे।  मुकाबला वर्ल्ड चैम्पियन बोखोदिर जोलोलोव से था।  बोखोदिर जोलोलोव के खिलाफ मेजर सतीश कुमार पूरी क्षमता से लड़े भले ही वह अपना मैच हार गये पर उन्होंने जीता सबका सम्मान।

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सूबेदार मेजर सतीश कुमार और बोखोदिर जोलोलोव के बीच खेला गया मैच उस ज़ज्बे का चित्र था जो भारतीय सेना के हर सैनिक में खूब भरा है।  कभी न हार मानने का जज्बा रखने वाली भारतीय सेना के इस खिलाड़ी ने खेल के बाद कहा- चोट के बाद मुझे मेरी पत्नी ने भी खेलने से मना किया था तब मैंने अपने बेटे और बेटी को देखा।  दोनों मुझे देख रहे थे।  उम्मीद है मेरे खेल ने उन्हें जरुर प्रेरणा दी होगी।  सूबेदार मेजर सतीश कुमार के जज्बे को ओलम्पिक संघ ने भी सलाम किया, दुनिया भर में आज लोग सोशियल मीडिया पर सूबेदार मेजर सतीश कुमार की तस्वीर साझाकर उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं।

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