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लोकसभा चुनाव 2019: जानें, क्या होती है जमानत राशि और कब की जाती है जब्त

इस समय पूरे देशभर में लोकसभा चुनावों की वजह से सियासी माहौल गर्माया हुआ है, चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया के दौरान सबसे अहम चीज होती है जमानत राशि। क्यूंकि ये एक ऐसा शब्द है है जो अक्सर सुना जाता है कि किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है। ऐसे में ये जानना आवश्यक हो जाता हैं कि आखिर यह जमानत राशि क्या होती है, कितनी राशि होती है और यह कैसे जब्त होती है? चुनाव में भाग लेने वाले सभी प्रत्याशियों को चुनाव लडऩे के लिए जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित रकम जमा करनी होती है,  इसी राशि को चुनावी जमानत राशि कहते हैं। यह राशि कुछ मामलों में वापस दे दी जाती है अन्यथा आयोग इसे अपने पास भी रख लेता है।

जमानत राशि हर चुनाव के आधार पर अलग अलग तय की जाती है जैसे निकाय चुनावों में अलग विधानसभा चुनावों में अलग और लोकसभा चुनावों में अलग। यह राशि सामान्य वर्ग के लिए और आरक्षित वर्ग के लिए अलग-अलग होती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(ए) के अनुसार विधानसभा चुनाव में जनरल वर्ग के उम्मीदवारों को 10 हजार रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को 5 हजार रुपये जमा करने होते हैं। पार्षद चुनाव के दौरान जनरल वर्ग के उम्मीदवार को 5000 रुपए और आरक्षित उम्मीदवार को 2500 रुपए की राशि जमानत के तौर पर जमा करनी होती है। वहीं लोकसभा चुनाव में दावेदारी प्रस्तुत करने जा रहे जनरल वर्ग के उम्मीदवारों को 25 हजार रुपये और एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 12,500 रुपये फीस जमा करनी होती है।

जमानत कब जब्त होती है?

जब भी कोई प्रत्याशी किसी भी चुनाव क्षेत्र में पड़े कुल वैध वोट का छठा हिस्सा हासिल नहीं कर पाता है तो उसकी जमानत राशि जब्त मानी जाती है और नामांकन के दौरान दी गई राशि उन्हें वापस नहीं मिलती है। जैसे अगर किसी सीट पर 10 हजार लोगों ने वोट दिया है और उम्मीदवार को 1666 से कम वोट हासिल हुए हैं तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी।

जमानत राशि किसे वापस मिलती है?

  • किसी उम्मीदवार की वोटिंग शुरू होने से पहले मौत हो जाती है तो यह राशि परिवारजन को वापस मिल जाती है।
  • जब किसी उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो जाता है या वह अपनी उम्मीदवार वापस ले लेता है तो यह राशि लौटा दी जाती है।
  • अगर उम्मीदवार कुल डाले गए वोट के छठे हिस्सा से ज्यादा वोट हासिल कर लेता है।
  • अगर कोई उम्मीदवार छठे हिस्से जितना वोट हासिल नहीं कर पाता है और चुनाव जीत जाता है तो उन्हें भी राशि वापस दे दी जाती है।

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