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रखुड़ी कु त्योहार आज, शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में मनाया जा रहा रक्षा बंधन

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

अर्थात “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।) आज देशभर में भाई-बहन के प्रेम का त्योहार रक्षा बंधन हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज के दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनसे दक्षिणा में अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। लंबे समयके बाद रक्षा बंधन एक विशेष संयोग पर मनाया जा रहा है। रक्षा बंधन का ऐसा योग 558 वर्ष बाद बना है। इससे पहले ऐसा योग सन् 1462 में बना था। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार का भाई-बहन का पवित्र पर्व बेहद खास होगा।

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इस वर्ष रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बना। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधती हैं। वहीं, उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। इस बार लॉकडाउन और कोरोनावायरस के चलते कई भाई-बहन इस त्यौहार पर एक-साथ नहीं रह पाएं। ऐसे में कई लोगों को कॉल और मैसेजेज से ही काम चलाना पडा।

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