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6 जवानों ने मिलकर, शहीद हुए जवान की ये आखिरी ख्वाहिश को किया पूरा !

 

ये दोस्ती हम नहीं तोडेगें तोडेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेगें। शोले फिल्म का ये गाना हमें जय वीरू की दोस्ती की याद दिला देता है। लेकिन आज हम जिन दोस्तों की बात करने जा रहे है जिन्होनें भी कुछ ऐसा काम किया है जिसकी वजह से उनकी दोस्ती की मिसालें दी जा रही है। देश की सुरक्षा का जज्बा लिये 6 दोस्तों ने देश की सीमाओं की चौकसी के साथ ही अपनी दोस्ती का भी फर्ज अदा किया है। इन दोस्तों ने अपने शहीद दोस्त की तीसरी बहन की शादी में 5 लाख रूपये देकर धुमधाम से शादी करवायी है। इससे पहले भी यह अपने शहीद दोस्त राकेश कुमार चोरसिया की एक ओर बहन की शादी करवा चुके है।
शहीद राकेश कुमार चोरसिया ने दिसंबर 2006 में सीआरपीएफ के गुरूग्राम कैंप के 38 वें बैच में 177 जवानों ने ट्रेनिंग पासआउट की थी। इस ट्रेनिंग में राकेश के साथ अजय साहा, राजदीप गुप्ता, विनय कुमार, दीपक तिवारी, पंकज मोदी और प्रकाश भदोलिया भी थे। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन सभी की पोस्टिंग माओवादी प्रभावित क्षेत्र सुगमा के चितगुफा में कर दी गयी। बहुत समय तक साथ रहने की वजह से इन सातों के बीच में अच्छी दोस्ती हो गयी थी। ये आपस में हर सुख दुख की बातें एक दुसरे से शेयर किया करते थे। राकेश कुमार सीआरपीएफ की कोबरा कंमाडो बटालियन में तैनात थे। वे एक तेजतर्रार जवान थे जो हमेशा अपनी ड्युटी में मुस्तैद रहता था। उन्होनें एक गन फैक्ट्री का भांडाफोड किया था। और दंतेवाडा में हुयी मुठभेड में नक्सलीयों को ढेर किया था। वे युपी के महोबा के रहने वाले थे। 18 सितंबर 2009 को छत्तीसगढ के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में हुये सिंघमडगु ऑपरेशन में वे शहीद हो गये थे। सभी दोस्त अपने सुख दुख की बातें किया करते थे। राकेश हमेशा अपनी तीन बहनों की बातें किया करते थे। उनकी एक बहन की शादी हो चुकी थी और बाकी 3 बहनों की शादी करना उनकी जिम्मेदारी ही नहीं उनका सपना भी था।
राकेश के शहीद होने के बाद उनकी बहनों की शादी की जिम्मेदारी राकेश के दोस्तों ने ले ली थी। राकेश की एक बहन प्रतिमा की शादी राकेश के सामने ही हो चुकी थी। और दो बहनों आरती और प्रभा की शादी राकेश के दोस्तों ने करवा दी है। 30 अप्रेल को ग्वालियर में हुयी तीसरी बहन की शादी में सीआरपीएफ के इन छ दोस्तों ने राकेश के परिवार को 5 लाख रूपये इकट्ठा करके दिये। केवल पैसा ही नहीं इन दोस्तों ने शादी की तैयारियों में भी पुरा हाथ बंटाया। शहीद के छोटे भाई सुरेश ने भास्कर को बताया कि भईया के शहीद होने के बाद हमें लगा था हम कमजोर पड जायेगें लेकिन भैया के दोस्तों ने हमारी गार्जियन बनकर मदद की। पिछले 9 साल से वे हमारे साथ सुख दुख में साथ खडे है। एक भाई चले गये लेकिन आज हमारे कई भाई है।


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