देवभूमि का लाल और अपने घर का इकलौता कमाने वाला कमलेश भट्ट जो कि अभी मात्र 25 साल का था उसकी दुबई में 17 अप्रैल को हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी। लॉकडाउन के कारण 24 अप्रैल को दुबई से शव को तमाम कोशिशों के बाद दिल्ली पहुँचाया गया था लेकिन भारत सरकार ने शव को वापस लेने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद कमलेश भट्ट के पार्थिव शरीर को वापस दुबई लौटाया था। पहले से ही आहत परिवार को इस कारण दोहरी मार झेलनी पड़ी थी इस घटनाक्रम के बाद केंद्र सरकार की तीखी आलोचना होने लगी थी।
यह भी पढ़िये: समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने भारत भिजवाया था टिहरी के युवक का शव, सरकार ने वापस लौटाया। देखें विडियो
जिसके बाद फिर से मांग की जाने लगी कि कमलेश के शव को वापस भारत लाया जाए। दुबई से उत्तराखंड के रोशन रतूड़ी जो एक समाज सेवी हैं और सालों से वहां रह रहे हर उत्तराखंडी की परेशानी को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान देते रहते हैं। पहले भी उनकी ही कोशिश से शव को भारत लाया गया था और दुबारा उनके प्रयास से कमलेश भट्ट का शव भारत पहुंचा दिया गया और आखिरकार काफी जद्दोजहद के बाद कमलेश का शव देवभूमि उत्तराखंड पहुंचा जिसके बाद आज ऋषिकेश में गंगा तट पर वह पंचतत्व में विलीन हो गया, लॉक डाउन के चलते सीमित संख्या में ही परिजन घाट पर मौजूद रहे।
यह भी पढ़िये: शर्मनाक: रूद्रप्रयाग में बीडीओ ने कोविड-19 ग्रुप में भेजी खुद की नग्न अश्लील फोटो, और अब…
कमलेश मूल रूप से टिहरी में धनोल्टी तहसील के सकलाना के सेमवाल गांव के रहने वाले थे और दुबई के एक होटल में नौकरी करते थे। इससे पहले शव को लेने के लिए कमलेश के चचेरे भाई विमलेश भट्ट जिला प्रशासन से पास बनाने के बाद देहरादून से एंबुलेंस को बुक कर 24 अप्रैल तड़के साढ़े तीन बजे दिल्ली पहुंचे। लेकिन वहां उन्हें निराशा हाथ लगी थी, और उनके माता-पिता भी शव को वापस दुबई भेजने के कारण मायूस हो गए थे। पर फिर अगले दो दिनों में कमलेश का परिवार और उसको मदद करने वाले लोग पीएमओ से ही लगातार संपर्क करने की कोशिशों में लगे रहे जिसके बाद उसके शव को वापस भारत लाया गया और अब देवभूमि उत्तराखंड में कमलेश का अंतिम संस्कार हो पाया है।