अगर उत्तराखंड के प्राथमिक स्तर के सरकारी स्कूल की बात करैं तो सबसे पहले जो खयाल दिमाग में आता है वो ये कि कुर्सी पर बैठे हुए अध्यापक और उनके सामने टाट-पट्टी पर बैठे हुए छोटे-छोटे मासूम छात्र। सरकारी स्कूलों की इस बदहाली को देखते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 30 जून 2017 को सरकार को तत्काल प्रभाव से बुनियादी संसाधन मुहैया कराने के आदेश दिए थे। इस आदेश का पालन न होने पर जनवरी 2018 से शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर प्रधानाचार्य तक वेतन रोकने की चेतावनी दी गई थी।
इस आदेश के हिसाब से संसाधनों के लिए 1200 करोड़ की जरूरत बतायी गयी थी। हालांकि, शिक्षा विभाग को सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक तौर पर चरणबद्ध तरीके से संसाधन पूरे करने की रियायत दी है। इसके बाद सरकारी स्कूलों को टाट-पट्टी से मुक्त करने के लिए उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने वर्ष 2017 में अभियान शुरू किया था। हालांकि, शुरू में इस अभियान के तहत औद्योगिक घरानों से सहायता मांगी गई थी। मगर, अपेक्षित कामयाबी न मिलने पर सरकार खुद भी इस मद में धन का इंतजाम कर रही है।
उत्तराखंड के सभी बेसिक और जूनियर स्कूलों के छात्रों को पढ़ाई के लिए अब कुर्सी-टेबल मिलने जा रही है। सरकारी स्कूलों को टाट-पट्टी मुक्त करने के अभियान के तहत सरकार ने फर्नीचर के लिए 12 करोड़ रुपये दे दिए हैं। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को उनकी डिमांड के मुताबिक बजट भी जारी कर दिया है। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर का कहना है कि निदेशालय स्तर से वित्त अधिकारी बेसिक को ब्लॉकवार बजट और आईडी दे दी गई है।
क्या है वर्तमान स्थिति–
- 14,923 है उत्तराखंड में सरकारी बेसिक-जूनियर स्कूलों की संख्या
- 50 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं इन स्कूलों में उत्तराखंड में
- 50 लाख से अधिक छात्रों के बैठने के लिए नहीं है कुर्सी-मेज