इन दिनों मैदान से लेकर पहाड़ तक भीषण गर्मी की चपेट में हैं। गर्मी से राहत पाने को पेड़ की छांव लेना एक दंपति और उनकी चार माह की पोती को जान देकर चुकाना पड़ा। पल भर की झपकी तीन जिंदगियां लील गई। अंधड़ के बीच जब तक इस हादसे को मृतक समेत परिवार के लोग समझ पाते तब मौत का तांडव हो चुका था। जबकि बच्ची ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर कूड़ा बीनने का काम करने वाले अमर और उसकी पत्नी सुनीता को यह एहसास ही नहीं था कि जिस पेड़ के नीचे पल भर गर्मी से राहत पाने को वह लोग बैठे हैं वही उनकी मौत का कारण बनेगा।
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सूचना पर अग्निशमन, पुलिस और तहसील प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। बताया जा रहा है कि मृतक दंपती यहां कबाड़ बिनकर गुजर-बसर करते थे। सोमवार को दोपहर के वक्त तेज हवा चल रही थी। इसी दौरान श्रम विभाग के कार्यालय के सामने रेलवे क्षेत्र में हवा से पाखड़ का भारी-भरकम पेड़ एकाएक धराशायी हो गया। पेड़ के नीचे छांव में कबाड़ बीनने वाले कुछ लोग बैठे थे और कुछ सो रहे थे। पेड़ गिरने का आभास होते ही बैठे लोगों ने तो भागकर जान बचा ली, लेकिन सो रहे लोग पेड़ के नीचे दब गए।
अमर और सुनीता की तीन बेटियां हैं जिनमें से एक की शादी हो गई है। सोमवार को दो बेटियां उनके साथ थी। अचानक पेड़ गिरने की आहट सुन उसकी दोनों बेटियां, भाई-बहू और छोटे बच्चों ने किसी तरह अपनी जान बचाई। लेकिन दंपति और मासूम पेड़ की चपेट में आ गए। नाना-नानी के साथ तीन माह पहले दुनिया में आई मासूम सदा की नींद सो गई। मृतक के भाई नरेश ने बताया कि उनका परिवार कूड़ा बीनकर ही जीवन काटता है। बताया कि दिनभर काम करने के बाद सभी लोगों ने बाजार की ओर एक होटल में चाय पी। जिसके बाद खाना खाकर वह लोग रेलवे स्टेशन के पास एक पेड़ के नीचे गर्मी से बचने को बैठ गए। इस हादसे ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है।