इरादे बुलंद हों तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। ऐसे ही बुलंद इरादों वाले कुछ लोग अन्य के लिए भी प्रेरणा बन जाते हैं। ऐसा ही उदाहरण देहरादून के झाझरा के एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेटी अलका ने पेश किया है। उत्तराखंड न्यायिक सेवा (सिविल जज) परीक्षा में सफलता हासिल कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि समय व परिस्थितियां बेशक अनुकूल न हों, पर परिश्रम व लगन के बूते हरेक चुनौती से पार पाया जा सकता है। आगे पढ़ें:
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अलका के पिता कृष्णलाल प्रेमनगर में एक दुकान में काम करते हैं और मां ममता गृहणी हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। पर परिवार यह जानता था कि अच्छी शिक्षा से भविष्य की सूरत बदल सकती है। ऐसे में कृष्णलाल ने आय सीमित होते हुए भी अपने बच्चों को शिक्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अलका ने गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज से बारहवीं की। इसके बाद डीएवी पीजी कॉलेज से स्नातक और फिर एलएलबी की। उन्होंने साल 2018 में भी पीसीएस-जे की परीक्षा दी थी, पर चूक गईं। इस असफलता से भी उन्होंने सफलता की सीख ली और इस बार अपनी कमियों को दूर किया और सफलता हासिल की। उनके एक भाई व एक बहन हैं, जो अभी पढ़ रहे हैं।